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पैसे के लालच में बुजुर्ग को टरकाते रहे बाबू

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: बेवर के मिरकिचिया मुहल्ले में रहने वाले राजाराम ने कभी सपने में भी नहीं सो

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Apr 2018 11:05 PM (IST)Updated: Sat, 07 Apr 2018 11:05 PM (IST)
पैसे के लालच में बुजुर्ग को टरकाते रहे बाबू

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: बेवर के मिरकिचिया मुहल्ले में रहने वाले राजाराम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि जिस पशुपालन विभाग में उन्होंने ¨जदगी के 33 बरस दिए। उनके निधन के बाद वही विभाग उनके परिवार को दर-दर भटकाएगा। बुजुर्ग महिला फंड का पैसा पाने को भटकती रही और चंद पैसों के लालच में कर्मचारी इधर से उधर दौड़ाते रहे।

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वर्ष 1965 में राजाराम पशुपालन विभाग की नौकरी में आए थे। वर्ष 1992 में उनकी तैनाती रामनगर केंद्र पर थी। यहां से उनका तबादला अलीगढ़ कर दिया गया। अलीगढ़ में वर्ष 1998 में नौकरी के दौरान उनका निधन हो गया। निधन के बाद बुजुर्ग पत्नी गायत्री देवी ने उनके फंड पाने को कवायद की तो पशु पालन विभाग में उन्हें टरका दिया गया। तत्कालीन अधिकारियों ने एक पत्र में ये लिखकर दे दिया कि उनका अलीगढ़ तबादला हुआ था इसलिए अलीगढ़ से ही सारी कार्रवाई होगी। गायत्री देवी अलीगढ़ दौड़ीं वहां चक्कर लगाती रहीं, लेकिन वहां ये कहा गया कि उनकी पत्रावली यहां नहीं आई। गायत्री देवी की पैरवी करने वाले कामरेड डॉ. रामधन बताते हैं कि वह भी इसी विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी थे। वह बताते हैं कि पैसे के लालच में कर्मचारियों ने सर्विस बुक से लेकर अन्य कागजात गायब कर दिए। जब बेटे अखिलेश की मृतक आश्रित में नौकरी लगवाने की बात आई तो विभाग के लोगों ने 25 हजार रुपये की मांग की, लेकिन बाद में अधिकारियों से मिलकर बिना रिश्वत के मृतक आश्रित में अखिलेश की नौकरी लगी। रामधन इस मामले में बाद में वित्त नियंत्रक इलाहाबाद से मिले तो उन्होंने पत्र लिखकर जानकारी मांगी। लेकिन यहां भी कर्मचारियों ने खेल कर दिया। कर्मचारियों ने पत्र में लिखकर दिया कि फरवरी 1992 से राजाराम अनुपस्थित थे। जबकि जांच की गई तो पता चला कि अगस्त 1992 में विभाग ने उनका वेतन दिया है। ऐसे में उनकी अनुपस्थिति की बात गलत थी। जब कहीं से नतीजा नहीं निकला तो गायत्री देवी ने हाईकोर्ट में मई 2017 में दस्तक दी। हाईकोर्ट ने सितंबर 2017 में वित्त नियंत्रक को सारे देयकों का भुगतान करने को कहा था। यहां भी कर्मचारियों ने खेल कर दिया। देयकों की जो चेक गायत्री को दी गई उसने दस्तखत ही नहीं गए। बाद में डीएम प्रदीप कुमार की सख्ती के बाद गायत्री को न्याय मिल सका। रामधन कहते हैं कि विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण गायत्री देवी को भटकना पड़ा। जबकि पत्रावली कहीं गायब नहीं हुई, बल्कि जानबूझकर गायब कर दी गई। बॉक्स

कहीं मिली लापरवाही तो कार्रवाई

गायत्री देवी के फंड का निस्तारण एक घंटे में कराने वाले जिलाधिकारी प्रदीप कुमार भी इस मामले को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने पत्र जारी कर सभी विभागों ने निर्देश दिए हैं कि किसी भी कर्मचारी के देयकों के भुगतान में यदि लापरवाही बरती गई तो लापरवाही करने वाले अधिकारी और कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि लंबित मामलों का तत्काल निस्तारण कराया जाए। यदि किसी को भी ऐसी परेशानी है तो वह सीधे जिलाधिकारी से सीधे मिल सकता है।

यदि कोई दिक्कत तो हमें बताएं

किसी भी कर्मचारी को अपने विभाग में फंड आदि मिलने में कोई दिक्कत है या कर्मचारी लापरवाही करते हैं तो वह अपनी परेशानी हमें बता सकते हैं।

वाट्सएप नंबर 9927377222

मेल - 1द्बठ्ठद्गद्गह्ल.द्वद्बह्यद्धह्मड्ड@ड्डद्दह्म.द्भड्डद्दह्मड्डठ्ठ.ष्श्रद्व


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