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साढ़े तीन दशक बाद जरामई के तालाब का पुनर्जन्म

कब्जा हटवाने के साथ ही मनरेगा के मजदूरों से कराई खोदाई संवारने का भी कार्य शुरू ग्रामीण भी कर रहे श्रमदान।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 10:11 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 06:23 AM (IST)
साढ़े तीन दशक बाद जरामई के तालाब का पुनर्जन्म
साढ़े तीन दशक बाद जरामई के तालाब का पुनर्जन्म

मैनपुरी, जागरण संवाददाता। एक जमाने में तालाब न सिर्फ पशु पक्षियों की प्यास बुझाते थे, अपितु उनका पानी फसलों की सिंचाई आदि काम में प्रयोग होता था। समय और अनदेखी के चलते इनका अस्तित्व लगभग समाप्त सा हो गया है। लगातार भू-जल स्तर गिरने से पेयजल संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में सरकार इस ओर गंभीर हो गयी है और तालाबों की खोदाई और जलभराव पर जोर दे रही है। इसी क्रम में साढ़े तीन दशक पुराने तालाब का पुनर्जन्म हुआ है। तालाब की जमीन से अतिक्रमण हटाने के साथ ही मनरेगा मजदूरों से इसकी खोदाई कार्य शुरू करा दिया गया है। इस कार्य में ग्रामीण भी श्रमदान कर रहे हैं। अब यह तालाब चौड़ा नजर आने लगा है।

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मैनपुरी ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत गांव जरामई में तीन बीघा जमीन में तालाब था। साढ़े तीन दशक पुराने इस तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा शुरू हो गया। साल-दर-साल इसका आकार सिकुड़ता चला गया। वर्तमान में तालाब का आकार काफी कम हो गया। गंदगी और प्रदूषित पानी होने की वजह से पशु भी तालाब से दूर होते गए।

पीएम मोदी के जल सहेजने के संदेश के बाद जरामई के तालाब के दिन बहुरे। कुछ दिन पहले एसडीएम रजनीकांत ने पुलिस और राजस्व विभाग की टीम के साथ पैमाइश कराई और इसकी जमीन से अतिक्रमण हटवा दिए। अब यह तालाब पुराने स्वरूप में लौटने लगा है। अब इसकी खोदाई का कार्य शुरू हो गया है। कई दर्जन मनरेगा मजदूर ही नहीं बल्कि ग्रामीण भी श्रमदान कर रहे हैं।

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एक और है तालाब

जरामई गांव में इस बड़े तालाब के अलावा एक और 12 बिस्वा का तालाब है। इस पर तो मकान आदि बन चुके हैं। बड़े तालाब का अतिक्रमण हटाने गए अफसर इस छोटे तालाब को संवारना भूल गए। ग्रामीण इस तालाब से भी अतिक्रमण हटवाने की मांग कर रहे हैं।

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वर्ष 2016 में जागरण ने सहेजा था

वर्ष 2016 में जागरण ने भी इस तालाब को सहेजा था। पानी भरवाया गया, लेकिन समय और अनदेखी के चलते वह फिर से पुराने अस्तित्व में चला गया। अस्तित्व लौटाने में जुटी हैं महिलाएं

तालाब खोदाई में सर्वाधिक महिलाएं लगी हुई हैं। मनरेगा श्रमिक के तौर पर पंजीकृत महिलाओं का कहना था कि इस योजना में मात्र 182 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है, जो कम है। दूसरी जगह तीन सौ रुपये मिलते हैं, काम ज्यादा हो या कम, इससे फर्क नहीं पड़ता।

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सालों बाद तालाब को नया जीवन मिलते देखकर मन खुश हो रहा है। अब सभी को ऐसे प्रयास करने होंगे, जिससे भविष्य में फिर कोई कब्जा नहीं कर सके।

- धर्मवीर। पानी अब वर्तमान के साथ भविष्य की जरूरतों में शामिल है। बारिश का पानी तालाब में सहेजने से जरूर लाभ होगा। पशुओं की प्यास बुझेगी तो तालाब पर पक्षियों का बसेरा होगा।

- रामप्रसाद। तालाब का सुंदरीकरण हो रहा है। गांव में पानी का स्तर भी नीचे जा रहा है। अब तालाब को नया जीवन मिलने से भूगर्भ जलस्तर सुधरेगा और इसका लाभ होगा।

- रक्षपाल। पानी को लेकर पीएम की चिता से हर ग्रामीण को जुड़ना होगा। समबर्सिबलों पंप से काफी पानी बर्बाद हो रहा है। हमको जरूरत का पानी ही लेना चाहिए।

- बेताल सिंह।


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