पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाओं ने अपनाई नई सोच
जागरण संवाददाता, कुलपहाड़(महोबा): नवरात्र आते ही सड़क पर सजे पंडाल, साल दर साल भव्य हो
जागरण संवाददाता, कुलपहाड़(महोबा): नवरात्र आते ही सड़क पर सजे पंडाल, साल दर साल भव्य होती देवी प्रतिमाएं और निर्धारित तिथि तक पूजन के बाद प्रतिमाओं का विसर्जन हमारी अटूट आस्था से जुड़ चुका है। जहां आस्था है वहां नया कदम उठाने का साहस करना भी बड़ी बात है। सुगिरा गांव के युवाओं ने इस बार कुछ ऐसा ही किया है। इन्होंने प्रतिमा स्थापना और विसर्जन के बाद पहले से स्थापित मंदिरों के संरक्षण की ओर कदम बढ़ाया है।
रुढि़यों को तोड़ने के लिए केवल एक पहल की जरूरत है। तार्किक और तथ्यात्मक विचार बदलाव में सक्षम हैं। सुगिरा के युवकों ने कुछ ऐसा ही यहां। युवा क्रांति प्रवक्ता के पंडित राकेश अवस्थी ने बताया कि लोग नवरात्र में पंडाल सजाकर मां की आराधना करते हैं फिर मूर्ति का विसर्जन कर देते हैं। इसकी बजाय अगर पहले से स्थापित मंदिरों का संरक्षण किया जाए तो प्रतिमा से नदी में होने वाला प्रदूषण भी नहीं होगा। युवा क्रांति संस्कृति रक्षा मंच ने गांव के अन्य युवाओं को इस विचार से अवगत कराया और विभिन्न आयोजन समितियों के पदाधिकारियों से बात की। गांव के विकास व सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए एकजुटता का आह्वान किया। इसका असर हुआ और अंबे नगर, रैदास नगर, बजरंग चौक(टंकी मोहाल), विष्णु नगर तथा नवयुवक समिति ने इस बार प्रतिमा स्थापित न करते हुए गांव के मंदिरों को ही भव्यता से सजाया और भजन-कीर्तन का आयोजन किया। कमल सैनी, रोहित पाठक, विनय पटैरिया, राहुल वाजपेई, अंकित अवस्थी, विशाल भारती मिश्रा, सुधांशू मोहन अरजरिया आदि ने इसमें सहयोग किया।
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हम सबको मिलकर गलत दिशा में जा रहे अपने लोगों को वापस सही मार्ग पर लाना है। पुराने देवी मंदिर हमारे प्रेरणास्रोत हैं लेकिन आज उनकी जो दशा है उसे हम सब मिलकर ही दूर कर सकते हैं।
-राकेश अवस्थी (युवा क्रांति प्रवक्ता)
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जल प्रदूषण रोकना ही प्रथम धर्म है। जो हमारे इस कदम से आगे बढ़ेगा और जल के बढ़ते संकट से बचने में सहायक होगा। हमारा यह कदम दुनिया के लिए एक संदेश है।
-सुधांशू मोहन अरजरिया
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हमारा उद्देश्य समाज मे तेजी से फैलते धर्म के गलत क्रिया कलाप को रोकना है। जिससे हमारे पावन पर्व नव दुर्गा की गरिमा बनी रहे। प्रतिमा लाकर पूजन के बाद उनका विसर्जन करते समय जो अपमान महसूस होता है वह रुक सकेगा।
-विनय पटैरिया
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