उर्मिल बांध का जलस्तर बढ़ने से आधा दर्जन गांवों पर संकट
जागरण संवाददाता, महोबा: उर्मिल बांध में पानी का स्तर बढ़ने से इस बार फिर आधा दर्जन गावों का
जागरण संवाददाता, महोबा: उर्मिल बांध में पानी का स्तर बढ़ने से इस बार फिर आधा दर्जन गावों का संपर्क जनपद मुख्यालय से टूटने के संकेत मिलने लगे हैं। कैमाह-नौगांव में सड़क किनारे दोनों तरफ पिपरामाफ के पास उर्मिल बांध का पानी आने से सड़क के किनारे कटने लगती है। मध्यप्रदेश प्रशासन किसी बड़े वाहन के हादसे का शिकार होने के अंदेशे से बचने के लिए खाई खोद कर रास्ता बंद कर देता है। इस बार फिर कुछ इसी तरह के हालात बन रहे हैं।
मध्यप्रदेश और आसपास के जनपदों में अच्छी बारिश होने से उर्मिल बांध का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। यह किसानों के लिए जहां शुभ संकेत हैं, वहीं लगभग आधा दर्जन गावों के लिए कष्टकारी भी होता जा रहा है। बांध निर्माण के समय कैमहा-नौगांव सड़क लगभग 15 फीट मिट्टी का भरान कर ऊपर उठाई गई थी। सड़क के किनारों को पत्थरों से सुरक्षित नहीं किया गया। इसलिए बारिश में दोनों तरफ मिट्टी का कटान होने लगता है। मध्यप्रदेश प्रशासन किसी भी हादसे से बचने के लिए इस रास्ते पर पिपरामाफ और कंचनपुर के पास दो जगहों पर सड़क पर खाईं खोद देता है। जिससे वाहनों का दोनों तरफ से आवागमन बंद हो जाता है। 2016 व 2017 में बांध में पानी का स्तर बढ़ने पर खाई खोदकर वाहन बंद कर दिये गए थे। इस बार फिर ग्रामीणों को रास्ता बंद होने और जनपद मुख्यालय से संपर्क कटने का डर सताने लगा है।
इन गांवों का टूट जाता संपर्क
पिपरामाफ, लुहेड़ी, संकटमोचन, कर्रपहाड़िया, फुटेरा गांव आदि का संपर्क पूरी तरह समाप्त हो जाता है। गांववालों को यदि महोबा मुख्यालय आना हो तो 30 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय कर उन्हें घूम कर आना पड़ता है।
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कैमहा-नौगांव सड़क उर्मिल बांध के पास से जरूर निकली है, पर उसकी देखरेख का काम मध्यप्रदेश पीडब्ल्यूडी के अधिकारी करते हैं। दोनों तरफ पानी भरने और सड़क की कटान की आशंका से पानी के ओवर फ्लो होने की दशा में पहले खाईं खोद कर रास्ता बंद किया गया था। स्थिति बदलने पर मध्यप्रदेश के अधिकारी फिर वहीं कदम उठा सकते हैं।
-दिग्विजय ¨सह, अधिशासी अभियंता, उर्मिल बांध
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बीते वर्ष से यह सड़क पीडब्ल्यूडी की जगह मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में हो गई है। बारिश के बाद प्राधिकरण ही इसका निर्माण कराएगा। पानी बढ़ने पर वाहनों को बंद करना मजबूरी थी, इसलिए खाईं खोदी जाती रही। इस वर्ष प्राधिकरण ही निर्णय लेगा।
-मनहर द्विवेदी, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी, मध्यप्रदेश