खुद प्यासा है सप्त नदियों वाला जिला..
महोबा : चंदेल शासक जल संजीवनी की महत्ता को समझते थे, उनकी प्रजा को पानी की कोई दिक्कत न
महोबा : चंदेल शासक जल संजीवनी की महत्ता को समझते थे, उनकी प्रजा को पानी की कोई दिक्कत न हो और हर ओर हरियाली लहलहाए यह सोचकर उन्होंने कुएं, बेहर व तालाब बनवाए। प्रकृति ने बुंदेली माटी को सप्त नदियों का तोहफा दिया, कलकल बहती यह नदियां अब वीरान हो गई है। माफिया इनका सीना चीरकर सफेद सोना लूट रहे है। बचे खुचे तालाबों को जलकुंभी और गंदगी नेस्तनाबूत कर रहे है। यदि पूर्वजों की इन विरासतों को सहेजा जाता तो शायद आज सात नदियों व चंदेल शासनकाल के तालाबों वाला यह जिला खुद प्यासा न होता। इस साल बारिश उम्मीद से कम होने के चलते सूखे के काले बादल छाने लगे है, इसे लेकर लोग ¨चतित है। जिले की इस अहम समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों ने सियासत तो कही पर विरासतों को सहेजने की कोई पहल नहीं की गई और प्रशासनिक मशीनरी भी खामोश नजर आई।
सब कुछ सही चल रहा था। लेकिन साल 2008 में सूखे की काली छाया ने बुंदेली धरा को अपनी आगोश में ले लिया और नदियों में पानी की जगह बेबसी की धूल उड़ने लगी। पानी कैसे आए और नदियां कैसे बचें इस दिशा में काम करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। मौका अच्छा था तो माफियाओं की यह नदियां जागीर बन गई और सफेद सोने बालू का खनन शुरु हो गया। करीब सात सालों तक सूखे की मार झेल रहे जिले की यह नदियां वीरान हो गई और माफियाओं का कब्जा हो गया। नदियां दुर्दशा पर सिसकियां भर रही है पर उनके जख्मों पर मरहम लगाने वाला शायद कोई नहीं है।
जिले की सात नदियां और वर्तमान स्थिति
1-अर्जुन नदी-उदगम स्थल पर ही दम तोड़ गई।
2-क्योलारी-मप्र के चेकडैम की वजह से सूखी।
3-चंद्रावल-बांध बनने के बाद उदगम स्थल में ही सूखी। हालांकि बीती सपा सरकार ने इसका संज्ञान लिया था और तब इस नदी के जीवित होने की आस जगी थी। तत्कालीन मंडलायुक्त कल्पना अवस्थी ने भी मुआयना किया था। लेकिन यह मामला भी ठंडे बस्ते में पड़ गया।
4-वर्मा नदी-मौदहा डैम बनने के बाद प्रवाह थमा।
5-ककरयाऊ-कई साल पहले ही साथ छोड़ गई।
6-ब्रम्हा नदी-यह नदी भी पूरी तरह सूख गई।
7-उर्मिल नदी-उर्मिल बांध में दम तोड़ देती है।
जुड़ें नदियां तो मिलेगा लाभ
बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकार का कहना है कि केन-बेतवा गठजोड़ को सरकार ने हरी झंडी दी है और यह बुंदेलखंड के कुछ जिलों के लिए लाभदायक साबित होगी। लेकिन महोबा में भी सात नदियां है यदि इन्हें जीवंत करने की पहल की जाए और इन्हें एक दूसरे से जोड़ दिया जाए तो शायद भविष्य में लोगों को पेयजल संकट से न जूझना पड़ेगा। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। ताकि पूर्वजों की यह विरासत जीवंत हो सके और लोगों को जल संजीवनी मिल सके। चंद्रावल नदी को करीब दो साल पहले पुनर्जीवित करने की पहल की गई थी लेकिन प्रशासनिक मकड़जाल में फंस गई। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
पेयजल समस्या के लिए खुले कंट्रोल रूम
पेयजल समस्या के त्वरित निदान को लेकर जिला प्रशासन ने सूखा कंट्रोल रूम की स्थापना कर दी है। पेयजल समस्या को लेकर नागरिक जल संस्थान के फोन नंबर 05281-244501, जल निगम यांत्रिक के 05281-253017 व जल निगम सिविल शाखा के 05281-244558 में सुबह आठ बजे रात्रि आठ बजे तक शिकायतें दर्ज करा सकते है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश जल निगम के हेल्प लाइन नंबर 18001800525 पर भी किसी भी समय शिकायत दर्ज करा सकते हैं।