अनमोल विरासतों को बचाना होगा
जागरण संवाददाता, महोबा: सिर्फ सफाई से ही दूधिया कुएं में पानी आ गया इसका मतलब है कि धरत
जागरण संवाददाता, महोबा: सिर्फ सफाई से ही दूधिया कुएं में पानी आ गया इसका मतलब है कि धरती के अंदर जल स्त्रोत अभी सूखे नहीं वह पुन: जीवित हो सकते हैं। बुंदेलखंड में कुएं भूजल स्त्रोत के कितने महत्वपूर्ण साधन हैं, इसका मजबूत प्रमाण गोरखगिरि के नजदीक स्थित दूध वाले कुएं ने दे दिया। चार दिन पहले यह ऐतिहासिक कुआं ऊपर तक गंदगी से पटा हुआ था। लोगों ने उसमें पत्थर भर दिए थे लेकिन सफाई होते ही आज इसमें फिर से पानी आ गया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि भीषण गर्मी व सूखे के हालात में कुएं के जल स्त्रोत खुल गये। अब इस कुएं को देखने वालों का तांता लगा हुआ है।
बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि दूध वाले कुएं में पानी आना शुभ संकेत हैं। अगर इसी तरह बारिश से पहले नगर के सभी कुओं की सफाई हो जाती है तो बारिश के पानी को संचित करने में काफी मदद मिलेगी।
कुओं को पुनर्जीवित करने के लिए अभियान चला रहे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि दूध वाले कुएं की तरह ही यदि बारिश से पहले नगर के सभी कुओं की सफाई हो जाती है तो बारिश के पानी को संचित करने में काफी मदद मिलेगी। थोड़ी-थोड़ी दूर पर लगे हैंडपंप सिर्फ भूजल दोहन की मशीन हैं जबकि कुएं, पोखर और तालाब भूजल स्तर को नीचे गिरने से रोकते हैं। जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करते हैं। राजस्व अभिलेखों के अनुसार महोबा जिले में कुल 1240 कुएं हैं जिनमें करीब 800 कुएं निष्प्रयोज्य हो चुके हैं। हम बारिश से पूर्व जनसहयोग से इन कुओं की साफ सफाई करवाना चाहते हैं।
आठ साल से बेकार था कुआं
शिवतांडव व जिलाधिकारी कार्यालय के मध्य स्थित दूध वाला कुआं पिछले आठ साल से निष्प्रयोज्य था। गंदगी से पट चुका था लेकिन बुंदेली समाज की पहल पर नगर पालिका परिषद ने कुओं को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरू किया है। अब देखना यह है कि बरसात के पहले कितने कुओं को नया जीवन मिल पाता है।