कवियों ने गुदगुदाया व हंसाया
जागरण संवाददाता, महोबा : अखिल भारतीय साहित्य परिषद की तरफ से आयोजित कवि सम्मेलन में कवियो
जागरण संवाददाता, महोबा : अखिल भारतीय साहित्य परिषद की तरफ से आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। देर रात तक चले सम्मेलन में श्रोता एक और एक और की आवाज लगाते रहे।
शनिवार देर रात परमानंद तिराहा स्थित कृष्णा अमृत कल्याण मंडपम में हुए कवि सम्मेलन में सबसे पहले नगर पालिका अध्यक्ष दिलाशा सौरभ तिवारी ने क्षेत्र के कर्मठ व उदीयमान ग्राम प्रधानों को अंगवस्त्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। देर रात शुरू हुए कवि सम्मेलन में हेमन्त पांडेय ने कारगिल की चर्चा करते हुए पढ़ा 'देश का कुछ दर्द घटा बैठा हूं, कारगिल के युद्ध में अपने पैर कटा बैठा हूं।' छतरपुर के अभिराम पाठक ने 'सूनी माँग करो न साजन समझौता हो जायेगा'पंक्तियों से तालियां बटोरीं। हाशिम फिरोजवादी ने अपने अंदाज में'जिनके हाथों से तिरंगा न सम्हाला जाये, ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाये'पढ़ कर तालियां बटोरीं। झांसी से आए हास्य व्यंग्य के धनी अर्जुन ¨सह चांद ने भ्रूण हत्या पर तीखे अंदाज में पढ़ा 'चाहे न देना प्यार मुझे, लेकिन न कोख में मार मुझे।'अनिल तेजस्व ने 'मैं तो गीत लिखा करता हूँ अपनी पावन माटी के, गीत लिखा करता हूं मैं तो केसर वाली घाटी के' पढ़कर तालियां बटोरीं। इलाहाबाद के व्यंग के प्रखर हस्ताक्षर अखिलेश द्विवेदी ने'सबको ¨चता है अपने ही सम्मान की जय हो जनता की जय हो ¨हदुस्तान की'सुना कर तालियां बटोरीं। इसके अलावा हेमा बुखारिया, नवीन शुक्ल नवीन, साक्षी तिवारी व अजय मोहन तिवारी ने अपनी रचनाओं से मुग्ध किया। मंच का संचालन नागौद के अशोक सुंदरानी व अध्यक्षता जगप्रसाद तिवारी ने की। कार्यक्रम का सफल संयोजन देवेन्द्र चतुर्वेदी ने किया।