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ऊं नम: शिवाय चरखारी का नौमणि मंदिर

संस चरखारी (महोबा) चरखारी कस्बा में एक से एक प्राचीन मंदिर हैं। इन्हीं में से एक अति प्रा

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 04:56 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 04:56 PM (IST)
ऊं नम: शिवाय चरखारी का नौमणि मंदिर

संस, चरखारी (महोबा) : चरखारी कस्बा में एक से एक प्राचीन मंदिर हैं। इन्हीं में से एक अति प्राचीन मंदिर है नौमणि मंदिर। यहां गर्भ में स्थापित विशाल शिवलिग श्रद्धा का केंद्र है। मंदिर में नौ दरवाजे बने हैं। इतिहासकारों के अनुसार ग्रंथों में वर्णन है कि इस मंदिर का महाभारत काल से भी जुड़ाव है। अपने अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडव यहां ठहरे थे। बताते हैं कि इस मंदिर का कुछ काल पूर्ण पुर्ननिर्माण भी कराया गया था। मंदिर का इतिहास

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चरखारी में वन विहार पर्यटक स्थल टोला तालाब के पास मंदिर स्थित है। इसका निर्माण किसने कराया इसका कहीं भी कोई प्रमाण नहीं मिलता है। यहां स्थापित शिवलिग अति प्राचीन है। बाद में राजा जय सिंह ने वन विहार महल के निर्माण के दौरान धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार यहां नौ ग्रहों की स्थापना कराई। मंदिर में नौ दरवाजे बनाए गए। इसी लिए मंदिर को नौमणि मंदिर भी कहते हैं। अपने अज्ञातवास के दौरान यहां से गुजरते समय पांडवों ने यहां मंदिर में पूजन के लिए कुछ समय बिताया होगा, ऐसा इतिहासकारों का मानना है। विशेषताएं

मंदिर की देखरेख वन विभाग के क्षेत्राधिकार की ओर से की जाती है, इस समय इसके प्रबंधन की व्यवस्था देख रहे वन दरोगा कमलेश कुमार यादव कहते हैं कि मंदिर में पूजन पाठ की व्यवस्था सभी के सहयोग से होती है। मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आनाजाना बना रहता है। खासकर सावन के पूरे मास यहां श्रद्धालु भोलेबाबा की आराधना के लिए आते हैं। सोमवार को भीड़ रहती है। महाशिवरात्रि को यहां विशेष आयोजन होता है। कैसे पहुंचे मंदिर

महोबा मुख्यालय से 18 किमी दूर और चरखारी से करीब तीन किमी दूर यह नौमणि मंदिर है। यहां स्वयं के साधन से या प्राइवेट साधन की मदद से आ सकते हैं। मंदिर तक सड़क मार्ग है।

सावन के प्रत्येक सोमवार को सुबह से देर रात तक पूजन का क्रम चला करता है, वैसे सावन मास भर यहां रात-दिन चहल पहल रहती है, महाशिवरात्रि को विशेष अनुष्ठान होते हैं, दूर-दूर से लोग यहां दर्शन को आते हैं।

- घनश्याम कुशवाहा, पुजारी

मंदिर की देखरेख में क्षेत्र की जनता का पूरा सहयोग मिलता है, अति प्राचीन मंदिर होने से श्रद्धालुओं की अधिक उत्सुकता रहती है, यहां के बने नौ दरवाजे इस मंदिर को और खास बनाते हैं।

- कमलेश कुमार, व्यवस्थापक


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