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मुंबई-बेंगलुरू की सेहत सुधार रही चिया

अभिषेक द्विवेदी, महोबा: महोबा के कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां आपदा को मात देकर कैसे खुशहा

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 06:52 PM (IST)
मुंबई-बेंगलुरू की सेहत सुधार रही चिया
मुंबई-बेंगलुरू की सेहत सुधार रही चिया

अभिषेक द्विवेदी, महोबा: महोबा के कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां आपदा को मात देकर कैसे खुशहाली की इबारत लिखी जा रही है। कुछ किसान न अपनी हाड़तोड़ मेहनत से दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं। आएं ,चलते हैं विकासखंड पनवाड़ी के छोटे-छोटे से गांवों की ओर। यहां के खेतों में लहलहाती चिया की खेती किसानों की तकदीर ही नहीं बदल रही बल्कि बड़े-बड़े शहरों में रोग की तरह फैल रहे मोटापे की एक कारगर औषधि भी है।

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महोबा मुख्यालय से करीब चालीस किलो मीटर दूरी स्थित पनवाड़ी ब्लाक की पंचायत ब्यारजो, अकौना, दादरी के किसान एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं। दादरी के खूबचंद्र जैसे किसानों ने अपनी तकदीर के साथ गांव की तस्वीर भी बदली है। सूखे से जूझते बुंदेलखंडउन के लिए यह गुरु मंत्र और जीवन में न हारने की प्रेरणा है। इन गांवों के किसान, एलोवेरा, चिया की खेती करके सूखी धरा में भी हरा सोना उगा रहे हैं।

इंसेट) व्यापारी भी संपर्क में आए

किसान मंगल ¨सह कहते हैं पांच साल पहले शुरु की इस चिया की खेती में इतना फायदा नहीं दिखता था लेकिन अब हालात सुधरे हैं। चिया को खरीदने के लिए मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू आदि शहरों के लोग विशेषतौर पर आते हैं।

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किसान खूबचंद्र ¨सह को मिला सम्मान

...वर्ष 2012 में कृषि विविधीकरण परियोजना के तहत चौधरी चरण ¨सह सम्मान।

वर्ष 2015 में सीएम अखिलेश यादव ने किया था सम्मानित।

साल 2016-17 में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग से मिला सम्मान।

इंसेट) चिया फसल की बिक्री

किसान खूबचंद्र व मंगल ¨सह आदि बताते हैं कि आर्गेनिक इंडिया उनसे बिना कुछ लिए यह खेती कराती है और पैदावार होने पर कंपनी के लोग यहां आते हैं चिया की फसल को खरीदते हैं। कुछ व्यापारी भी माल खरीदने आते हैं। वह दूसरे शहरों को ले जाते हैं। दादरी गांव के किसान मनमोहन, सुधीर व प्रमोद बताते हैं कि पहले कुछ ही किसानों ने यह खेती शुरू की थी और कम मुनाफा होता था।

उद्यान अधिकारी डा. बलदेव प्रसाद कहते हैं चिया सूखा क्षेत्रों में भी हो सकती है। चिया की खेती से सूखा क्षेत्र के किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास है। कम लागत में ही किसान अधिक लाभ कमा रहे हैं। महज 8 से 10 हजार रुपये की लागत से 50 हजार रुपये प्रति एकड़ का लाभ मिलता है। फसल में दो-तीन ¨सचाई ही पर्याप्त है।

इंसेट) सेहत को लाभ

पान अनुसंधान वैज्ञानिक डा. एसएस सिद्दिकी का कहना है, इससे सूखाग्रस्त क्षेत्रों की परंपरागत खेती से होने वाले घाटे कम होंगे। ऐसे में इनके सेवन से किसान परिवारों के बच्चों और बूढ़ों में कुपोषण का खतरा टल जाता है। चिया हृदय तथा कोलेस्ट्रॉल संबंधी बीमारी से बचाता है। ब्लड प्रेशर को रोकने में सक्षम है।


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