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350 वर्ष में पहली बार ठाकुरजी नहीं कर पाएंगे जलविहार

सुरेंद्र अग्रवाल कुलपहाड़ (महोबा) कोरोना ने आम जनजीवन ही नहीं तीज-त्योहारों पर भी असर

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 11:02 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 06:06 AM (IST)
350 वर्ष में पहली बार ठाकुरजी नहीं कर पाएंगे जलविहार

सुरेंद्र अग्रवाल, कुलपहाड़ (महोबा) : कोरोना ने आम जनजीवन ही नहीं तीज-त्योहारों पर भी असर डाला है। भगवान भी इससे अछूते नहीं हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार ठाकुरजी जलविहार नहीं कर पाएंगे। 350 साल में पहली बार न तो मेला लगेगा और न ही ठाकुरजी, बलभद्र और सुभद्रा जी के साथ मंदिर से बाहर आएंगे। ऐसे होता है मेले का शुभारंभ

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मेला समिति के सदस्य अमित प्रताप सिंह के अनुसार कुलपहाड़ का जलविहार मेला चरखारी के गोवर्धन नाथ मेले से भी प्राचीन है। भादों (भाद्रपद) मास की तेरस को प्रतिवर्ष इस मेले की शुरुआत शोभायात्रा से होती है। करीब एक सप्ताह तक लगातार इनका नगर में भ्रमण होता है। कई जिलों से आते हैं लोग

शोभायात्रा देखने के लिए आसपास गांवों ही नहीं कई जिलों से लोग आते हैं। शुरुआत नगर के पूर्व जमींदार कुंवर नारायन सिंह के श्रीकिशोर जू मंदिर से होती है। शोभायात्रा के साथ हाथी, घोड़े, कीर्तन मंडलियों व झांकियों के बीच में हटवारा, गौतमिया, पस्तोर समेत 12 देवालयों की देवमूíतयों को सजाकर श्रद्धालु कंधों पर लेकर बड़े तालाब में विहार कराने ले जाते हैं। शोभायात्रा नगर पंचायत कार्यालय, गल्ला मंडी, मुख्य बाजार, स्टेट बैंक, कन्या पाठशाला, पुरानी तहसील होते हुए रात को बड़ा तालाब पहुंचती है। यहां बलभद्र, सुभद्रा आदि देवी-देवताओं को भजन-कीर्तन के बीच जलविहार कराया जाता है। रथ में विराजी देवमूíतयों की प्रत्येक घर के दरवाजे पर पूजा अर्चना, आरती के अलावा भोग प्रसाद लगाया जाता है। एक सप्ताह होता आयोजन

शोभायात्रा के दौरान रथों के नीचे से निकलने की होड़ लगी रहती है। शोभायात्रा एक सप्ताह तक निकलती है। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इसमें संगीत, राई नृत्य, कवि सम्मेलन, आर्केस्ट्रा, जवाबी कीर्तन, कव्वाली व बुंदेली आल्हा गायन, दीवारी नृत्य, लोकगीत संध्या का आयोजन होता है। भव्य होती तैयारी

वर्तमान में प्रतिवर्ष मेले का आयोजन नगर पंचायत करवाती है। इसमें करीब आठ लाख रुपये का बजट आवंटित होता है। दो वर्ष पूर्व तक मेला रामलीला मैदान व गल्लामंडी पर होता रहा है, लेकिन जगह की कमी होने से नगर पंचायत अध्यक्ष ने पुरानी तहसील परिसर में नया मेला ग्राउंड विकसित किया है। मंदिर में ही निभाई जाएगी परंपरा

रामलला मंदिर के पुजारी संतोष सुल्लेरे ने बताया कि इस बार मेला शुभारंभ की तिथि सोमवार 31 अगस्त को है, लेकिन कोरोना के कारण भीड़ पर प्रतिबंध है, इस बार मेला, जल विहार पर रोक के कारण मंदिर परिसर में ही परंपरा निभाते हुए पूजन और दर्शन होंगे।


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