फसल के अवशेष का करें प्रबंधन, बचेगा धन
जासं महोबा खेत में फसल के अवशेष जलाने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है जमीन की उर्व
जासं, महोबा : खेत में फसल के अवशेष जलाने से पर्यावरण को तो नुकसान होता ही है जमीन की उर्वरा शक्ति पर भी प्रभाव पड़ता है। जिला कृषि अधिकारी वीपी सिंह कहते हैं कि जिले में वैसे धान की फसल अधिक न होने से पराली की समस्या नहीं है। फिर भी उर्द, तिली, मूंग आदि फसल के जो अवशेष हैं उनके जलाने पर भी रोक है। किसानों को समझाया गया है कि वह फसल के अवशेष को मवेशियों के चारा के तौर पर उपयोग कर सकते हैं। या फिर खेत में ही उन्हें छोड़ दें तो उससे खाद का काम करेगी।
वर्ष 2020-21 में कुल 17 मामले दर्ज किए गए थे। इन पर प्रशासन की ओर से 23 हजार रुपये जुर्माना व मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस बार गांवों में चौपाल लगा जागरूक किया जा रहा है। किसानों को समझाया जा रहा है कि यदि अवशेष खेत में जलाते हुए किसान मिलते हैं तो उन पर 5000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जुर्माना लगता है। प्रशासन की ओर से पिछले साल गांव-गांव पर्चा बनवाए गए थे, जिसमें किसानों को फसलों के अवशेष खेत में न जलाने की सलाह दी गई थी। इस बार भी तैयारी की जा रही है।