कबरई प्रकरण : जांच से कांपे हाथ..कौन बांधे गले में घंटी
जागरण संवाददाता महोबा पुलिस कप्तान यानी महकमे के आला अफसर। जब उसी के खिलाफ ही गंभीर
जागरण संवाददाता, महोबा: पुलिस कप्तान यानी महकमे के आला अफसर। जब उसी के खिलाफ ही गंभीर आरोप लगे हैं तो जाहिर है कि साथ काम करने वाले अधीनस्थों के लिए जांच करना, 'बिल्ली के गले में घंटी बांधना' कहावत के ही बराबर है। यही वजह है कि कबरई के व्यापारी प्रकरण में आज आठ दिन बाद भी जांच के नाम पर ठोस सुबूत जुटाने या कार्रवाई करने में स्थानीय पुलिस नाकाम है। अब मामले की जांच एसआइटी को सौंप दी गई है। हालांकि, चर्चाओं के मुताबिक स्थानीय पुलिस भी उच्चस्तरीय जांच के ही इंतजार में जहां का तहां खड़ी रही।
इतनी बड़ी घटना की जांच को लेकर पुलिस अधिकारियों के दावे चाहे जितने बड़े क्यों न हो, मगर इन आठ दिनों में सफलता के नाम पर बताने को कुछ नहीं है। प्रकरण में मुख्य आरोपित पूर्व एसपी ही जांच से फिलहाल दूर हैं। खुद एडीजी ही कह चुके हैं, बयान दर्ज कराने के लिए पूर्व एसपी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर, घटना की विवेचना कर रहे सीओ सदर आरके सिंह आठ दिन बाद भी यही कह रहे हैं कि अभी जांच चल रही है। कई अधिकारी तो कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। वैसे पुलिस अधिकारी पहले से ही यह दबी जुबान कहने लगे थे कि जांच उच्चस्तरीय होगी। सोमवार रात डीजीपी स्तर से इसका फैसला भी हो गया और जांच एसआइटी को सौंप दी गई।
----
जवाब मांग रहे सवाल
- व्यापारी को गोली कैसे लगी?
- मुकदमे में नामजद दो व्यापारियों की क्या भूमिका है?
-क्या व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वता में किसी ने पुलिस उत्पीड़न करवाया?
-कॉल डिटेल में कौन-कौन शक के दायरे में?
-गोली गले के पार हुई, खोखा या पिलेट कहां है?