यहां बजरंगबली नूर अली, अंजुम में बसे राम
अभिषेक द्विवेदी, महोबा : काशी-काबा एक है, एकै राम रहीम..। मजहबी दीवारों पर चोट करती स
अभिषेक द्विवेदी, महोबा :
काशी-काबा एक है, एकै राम रहीम..। मजहबी दीवारों पर चोट करती संत कबीर की यह पंक्तियां जिले के छोटे से गांव भरवारा में साकार दिखती हैं। नवरात्र पर मां के नौ रूपों के अलावा यहां पर ¨हदू-मुस्लिम भाईचारे का रूप भी आकर्षित करता है। नवरात्र के पूरे नौ दिन यहां आपसी सौहार्द पेश करती झांकियां सजाई गई हैं। बजरंगबली ताज मुहम्मद नूर अली बने हैं तो अंजुम राम का रूप लेकर भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं।
गांव के ¨हदू और मुस्लिम दोनों मिलकर मां का पंडाल सजाते हैं और मूर्ति स्थापित करते हैं। यहां सौहार्द और आपसी प्रेम से सजी झांकियों के कई और भी रंग हैं। भगवान श्रीकृष्ण के सखा रोज मुहम्मद और साजिद अली हैं। इन झांकियों को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों लोग रोजना पहुंच रहे हैं। सब यहां के आपसी सौहार्द के कायल हैं। यहां झांकियों में सर्वाधिक किशोर शामिल हैं। नवरात्र के पावन मौके पर भरवारा गांव में सौहार्द की बिखर रही यह महक मजहब के नाम पर नफरत फैलाने वालों को अपनी एकता का संदेश दे रही है।
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सात साल पहले शुरू हुई परंपरा
भरवारा गांव के युवा धर्म राजपूत, जानकी, रफीक, निजाम व अनिल आदि बताते हैं कि उन्हें मूर्ति रखने का उत्साह था। वह हर साल प्रतिमा स्थापित करते हैं। सात साल पूर्व इसकी शुरुआत कुछ नया कर गुजरने का ख्याल से हुई और पूजा में झांकियां सजाने लगे। उत्साहित युवाओं ने नवदुर्गा समिति बनाई, जिसमें ¨हदू और मुस्लिम भाईचारे मिसाल पेश कर रहे है। पूजा के लिए दोनों धर्म के लोग मिलकर चंदा करते हैं। करीब 50 हजार रुपये का खर्चा आता है। सारा सामान कानपुर से मंगाया जाता है। यहां के युवा कहते हैं कि सभी पहले इंसान हैं, इसके बाद और कुछ। सभी को इस बात को समझना चाहिए जिससे देश में अमन चैन कायम रह सके।