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बुंदेलों की रग-रग में बसे गुमान बिहारी

चरखारी (महोबा) केवल सप्तसरोवर के लिए ही नहीं महोबा का चरखारी नगर मंदिरों के लिए भी

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 05:19 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 05:19 PM (IST)
बुंदेलों की रग-रग में बसे गुमान बिहारी

चरखारी (महोबा) : केवल सप्तसरोवर के लिए ही नहीं महोबा का चरखारी नगर मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। रियासत कालीन रायनपुर मंदिर में बने शिवालय में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना जाना रहता है। सावन, दीपावली, महाशिवरात्रि को यहां विशेष आयोजन होते हैं। इस मंदिर में बांकेबिहारी की सुंदर छटा के भी दर्शन होते हैं। प्रदेश सरकार के धर्मार्थ न्यास में पंजीकृत इस ट्रस्ट में विधायक पदेन सदस्य होते हैं।

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इतिहास

कस्बे के ऐतिहासिक रायनपुर मंदिर का निर्माण 18 वीं सदी में यहां के राजा मलखान सिंह ने अपनी पत्नी गुमान कुंवर की स्मृति में कराया था। बेहतरीन नक्काशी के कारण इसे पुरातात्विक महत्व की इमारत माना जाता है। इसकी बेहतर व्यवस्था के लिए राजा ने करोड़ों की संपत्ति इस मंदिर के नाम कर दी थी। आजादी के बाद वर्ष 1962 में राज्य सरकार ने इस मंदिर को धर्मार्थ न्यास विभाग में पंजीकृत करा इसका ट्रस्ट बना दिया था। सरकारी व्यवस्था के तहत जिलाधिकारी इसके अध्यक्ष व तहसीलदार चरखारी सचिव होते हैं। विशेषता

गुमान बिहारी मंदिर के पीछे विशाल भू-खंड में गुमान बिहारी उद्यान है। एक जमाने में यह हमीरपुर महोबा संयुक्त जनपद के उद्यान विभाग की सबसे बड़ी नर्सरी के रूप में जाना जाता था। यहां बने शिवालय की खास विशेषता है कि वह गुमान बिहारी तालाब के तट पर है।

कैसे पहुंचे मंदिर

चरखारी के दो गुमान बिहारी तालाब तट पर स्थित शिवालय रामपुर बाजार बस स्टॉप से दो किमी. दूर है। आसानी से पहुंचने के लिए सड़क से लगा हुआ होने से तालाब तक चार पहिया वाहन, ई-रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है। गुमान बिहारी मंदिर जाने के पूर्व स्नान करने के बाद शिवालय में जलदान के उपरांत गुमान बिहारी मंदिर में श्रद्धालु प्रवेश करते हैं।

पुजारी

यह मंदिर चरखारी या महोबा ही नहीं समूचे बुंदेलखंड की ऐतिहासिक धरोहर है। धार्मिक आस्था के साथ ही मंदिर का पुरातात्विक महत्व है। इसके संरक्षण को सरकारी सहायता की जरूरत भी नहीं है। पूरे साल यहां पूजन दर्शन को श्रद्धालु आते रहते हैं।

- अशोक महराज, समाजसेवी

तालाब किनारे होने से गुमान बिहारी मंदिर के शिवालय का विशेष महत्व है। यहां महाशिवरात्रि, सावन मास में विशेष पूजन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं, भोलेबाबा से सच्चे मन से की गई मनोकामना पूरी होती है।

- पुजारी पं. धर्मेंद्र महाराज


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