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सिजहरी गांव की गलियों में गूंजे जय बुंदेलखंड के नारे

जागरण संवाददाता, महोबा : आल्हा चौक में 173 दिन से अनशन पर बैठे बुंदेली समाज के संयोजक तार

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 11:30 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 11:30 PM (IST)
सिजहरी गांव की गलियों में गूंजे जय बुंदेलखंड के नारे
सिजहरी गांव की गलियों में गूंजे जय बुंदेलखंड के नारे

जागरण संवाददाता, महोबा : आल्हा चौक में 173 दिन से अनशन पर बैठे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर सोमवार को ग्रामीण युवाओं के बुलावे पर अपने कुछ सहयोगियों के साथ आल्हा ऊदल के भांजे सियाहरि के गांव सिजहरी पहुंचे और गांव की गलियों में रैली निकाली। उन्होंने मंडी के पास एक जनसभा की एवं बुंदेलखंड राज्य बनने से होने वाले फायदों के बारे में बताया।

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सिजहरी मंडी स्थल से शुरू हुई रैली राम सागर तालाब के तट पर बने चंदेलकालीन मंदिर में समाप्त हुई। इससे पूर्व मंडी स्थल पर जनसभा में पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष बती बाबू ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तब बुंदेलखंड राज्य था। नौगांव राजधानी थी, लेकिन 1956 में मध्य प्रदेश का बनना बुंदेलखंड राज्य के अंत का कारण बन गया। उसका दंश हम भोग रहे हैं। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डा. राम सेवक चौरसिया ने कहा कि बुंदेलखंड हिन्दुस्तान का दिल है, लेकिन लगातार उपेक्षा के कारण बीमार है। इसका इलाज अब अलग बुंदेलखंड राज्य ही है। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि सबकी निगाहें बस बुंदेलखंड के पहाड़ों और नदियों पर है। जिनके दोहन में यूपी और एमपी दोनों राज्यों के लोग और माफिया जुटे हैं। जिला अधिवक्ता समिति के महामंत्री कृष्ण गोपाल द्विवेदी समेत हरीओम, दुर्गेश, बद्री, दीपक, मनोज, अजय, वीरेन्द्र, उमेश, महीपत, भारत, अखिलेश मौजूद रहे।


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