सरकने लगा ग्रिट उद्योग, रफ्तार के लिए नई नीतियों की मांग
कोविड 19 महामारी के चलते हुए लॉक डाउन में पटरी
संसू, कबरई (महोबा) : लॉकडाउन में पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को लाइन पर लाने के लिए उद्योगों को चलाने की कवायद शासन व प्रशासन ने शुरू कर दी है। अफसरों के निर्देश पर खनन व क्रशर व्यवसायियों ने अनेकों परेशानियों के बावजूद उद्योग को चलाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। मई माह के पहले सप्ताह में जनपद से 500 से 900 ट्रक ग्रिट बिक्री भी हुई। उद्योग ने सरकना शुरू किया, लेकिन से रफ्तार पकड़ाने के लिए शासन को अपनी नीतियों पर विचार करना होगा। इससे मध्य प्रदेश की रायल्टी का सामना किया जा सके।
खनिज राजस्व के साथ ही जीएसटी, बिजली बिल आदि के रूप में शासन को राजस्व प्राप्त होने व हजारों मजदूरों को रोजगार मिलने की उम्मीद जगने लगी थी। जनपद की सीमा से लगे पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की क्रशर मंडी से ग्रिट लेकर आने वाले ट्रकों को जिले के लिक मार्गो सहित सभी मार्गो से परिवहन की अनुमति मिलने से यहां के उद्यमियों में मायूसी छा गई। डीएम को सौैंपा ज्ञापन
क्रशर व खनन यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने डीएम को ज्ञापन दिया। डीएम के माध्यम से शासन से मांग की गई कि जिले में पर्याप्त खनिज संपदा (ग्रिट) उपलब्ध होने के बावजूद यूपी में बन रहे एक्सप्रेस-वे व अन्य निर्माण कार्यों में एमपी की ग्रिट का प्रयोग किया जा रहा है। इससे न सिर्फ शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि जनपद के हजारों श्रमिकों का रोजगार भी समाप्त हो जाएगा। प्रतिनिधि मंडल में यूनियन के रामकिशोर सिंह, देवेंद्र मिश्र, मुकेश गुरुदेव, रघुराज प्रताप सिंह, रूपेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।