नदी में डूबने से दो बच्चों की मौत
परसामलिक थाना क्षेत्र के ग्राम सभा शीशमहल टोला कल्याणपुर में सोमवार की शाम करीब चार बजे आठ वर्षीय अंकित पुत्र जयहिद व छह वर्षीय अजय पुत्र बीरेंद्र साहनी की रोहिणी नदी में नहाते समय डूबने से असमय मौत हो गई।
महराजगंज: परसामलिक थाना क्षेत्र के ग्राम सभा शीशमहल टोला कल्याणपुर में सोमवार की शाम करीब चार बजे आठ वर्षीय अंकित पुत्र जयहिद व छह वर्षीय अजय पुत्र बीरेंद्र साहनी की रोहिणी नदी में नहाते समय डूबने से असमय मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलते ही मृतक के परिजनों सहित बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने काफी मशक्कत के बाद नदी के गहरे पानी से दोनों बच्चों के शव को बाहर निकाला।
परसामलिक थाना क्षेत्र के शीशमहल निवासी अंकित व अजय गांव के चौराहे पर स्थित एक निजी स्कूल में यूकेजी के छात्र हैं। सोमवार की शाम स्कूल में छुट्टी के बाद दोनों घर पर बस्ता रखकर गांव के पश्चिम से होकर बहने वाले रोहिणी नदी के तट पर पहुंच गए तथा नहाते समय नदी के गहरे पानी में डूब गए। नदी के दूसरी छोर पर भैंस चरा रहे चरवाहों ने जब दोनों बच्चों को काफी वक्त गुजरने के बाद भी घर की ओर वापस लौटते नहीं देखा तो अनहोनी की आशंका पर ग्रामीणों को सूचना दी। घटना की सूचना मिलते ही नदी के आसपास लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। घंटों तलाश के बाद नदी से दोनों बच्चों को बाहर निकालकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर पहुंचाया गया। जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने देररात दोनों के शवों का रोहिणी नदी के तट पर अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना से पूरे गांव में मातम छा गया।
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मां को ढांढस बंधा रही खुशबू को देखकर भर आईं आंखें:
परसामलिक, महराजगंज: शीशमहल गांव निवासी अंकित व अजय की नदी में डूबने से हुई मौत के बाद पूरा गांव मानों गम के समुद्र में डूब गया हो। जिसने भी जहां इस मनहूस घटना को सूना, वह स्तब्ध रह गया। गांव में हर ओर पसरे मातमी सन्नाटे के बीच अजय व अंकित की घरों से आ रही लोगों की सिसकियां इस दुखद घटना की कहानी बयां करने के लिए काफी थी। एक ओर जहां अंकित के घर पर पड़ोसियों के अलावा सगे संबंधियों के आने जाने का तांता लगा था। वहीं महिलाएं घर के आंगन में एक दूसरे से लिपटकर दहाड़े मार -मारकर रो रही थी। दूसरी तरफ अजय के घर के परिजनों के रो- रोकर आंसू सूख चुके हैं। अपने इकलौते बेटे अजय को गवां देने का दुख मां इंदा चेहरे पर साफ झलक रहा था। वह अपने मुंहबोले बेटों को याद कर बार -बार मूíछत हो जा रही थी। अपने भाई को गवां चुकी बहन खुशबू खुद बिलखते हुए अपनी मां को यही समझा रही थी कि मां चुप हो जाओ, आखिर होनी को कौन टाल सकता है। यह सब देख वहां मौजूद लोगों की आंखें आंसुओं से भर जा रही थी।