बिना पंजीकरण चल रहे फर्नीचर उद्योग
सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के निचलौल से सटे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी की तस्करी हो रही है
महराजगंज : सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के निचलौल से सटे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी के फर्नीचर बनाने का कुटीर उद्योग विभागीय मिलीभगत से अवैध लकड़ियों की वजह से खूब फल फूल रहा है। इसके लिए खुली दुकानों में जिला प्रशासन के लाइसेंस तो हैं , मगर वन विभाग द्वारा जारी होने वाला न तो एनओसी है और न ही आवक लकड़ियों का आकड़ा । वैसे तो सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग से सटा जनपद महराजगंज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में चयनित हुआ है , लेकिन गिने चुने लकड़ी कारोबारियों को छोड़कर शहरों सहित ग्रामीण स्तर के चौक चौराहों पर बड़े पैमाने पर फर्नीचर की दुकानों में अवैध लकड़ियों का कारोबार संचालित हो रहा है। लकड़ी से संबंधित कुटीर उद्योग चलाने के लिए जिला प्रशासन से जारी लाइसेंस के अलावा वन विभाग द्वारा एनओसी होना जरूरी है। मगर हकीकत इसके विपरीत है। सोहगीबरवा के शिकारपुर, भोथहा व सोहगीबरवा खास सहित सिसवा ,कोठीभार ,सबया, कटहरी, चिउटहा ,बंदी ढाला समेत बलुअही धूस आदि में लकड़ी के फर्नीचर बनाने के दर्जनों कुटीर उद्योग तो खुले हैं , मगर वन विभाग की एनओसी अधिकतर के पास नहीं है। हालांकि विभाग समय समय पर छापेमारी तो करता है , लेकिन कार्रवाई सिर्फ निर्देशों तक सिमट कर रह जाती है। वन क्षेत्राधिकारी अशोक चंद्रा निचलौल का कहना है कि ऐसी दुकानों की अभियान चलाकर जांच के बाद वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।