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पराली नहीं अपनी किस्मत जला रहे किसान

धरती पर मेहनत की बदौलत सोना उगाया जा सकता है लेकिन इसके लिए मित्र कीटों की उपलब्धता व खेत की उर्वरा शक्ति यह निर्धारित करती है कि किसान के पाले में सोना कितना आना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 12:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:08 AM (IST)
पराली नहीं अपनी किस्मत जला रहे किसान

महराजगंज :

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धरती पर मेहनत की बदौलत सोना उगाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मित्र कीटों की उपलब्धता व खेत की उर्वरा शक्ति यह निर्धारित करती है कि किसान के पाले में सोना कितना आना है। मित्र कीट ही किसान की किस्मत का निर्धारण करते हैं, लेकिन इन दिनों तराई के किसान पराली के साथ अपनी किस्मत को अपने ही हाथों जलाने पर तुले हैं।

विभाग द्वारा जनपद में युद्ध स्तर पर चलाई गई जागरूकता काम नहीं आई। विभागीय आंकड़ों के अनुसार ही अब तक इस सत्र में कुल 207 हेक्टेयर कृषि भूमि को किसानों ने पराली के साथ जलाने का कार्य किया है।

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अब तक 5.62 लाख का हो चुका है जुर्माना

जनपद में अबतक चारों तहसीलों के 237 किसानों के विरुद्ध पराली जलाने के आरोप में कुल 5.62 लाख रुपये का जुर्माना हो चुका है। इसके बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। किसानों का पक्ष है कि पराली को मशीन से निपटाने पर प्रति एकड़ कम से कम चार हजार रुपये का खर्च आता है। और अगली फसल के लिए इतना समय भी नहीं कि उसे सड़ने के लिए खेतों में छोड़ दें।

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खेत की नमी बरकरार रखेगी पराली

किसान पराली को खेत में छोड़कर खेत में मल्चिग (आधी सड़ी घास) का लाभ लेकर खेत की नमी को बरकरार रख सकते हैं। इसके अलावा विकास विभाग द्वारा मिल रहे अनुदानित कंपोस्ट गड्ढे से कंपोस्ट बनाने का कार्य कर सकते हैं। जिले में पराली जलाने वालों के खिलाफ अभियान जारी है।

राजेश कुमार जायसवाल, उप कृषि निदेशक, महराजगंज


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