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नेपाल के रोगियों को भारतीय अस्पतालों का सहारा, चारपाई पर लादकर नोमेंस पार कराने को मजबूर हैं लोग

नेपाल के मर्चवार क्षेत्र के रोगियों को भारतीय अस्पतालों का ही सहारा है। नौडियहवा कदमहवा बोगड़ी भिलरहवा पिपरहवा व बगौली सहित कई गांवों के रोगी भारतीय क्षेत्र के अस्पतालों में भर्ती कराए जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नेपाल के अस्पतालों से भारत के अस्पताल नजदीक पड़ते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Thu, 25 May 2023 04:03 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2023 04:03 PM (IST)
नेपाल के नौडियहवा गांव से रोगी को चारपाई पर लाद भारतीय क्षेत्र में ले जाते लोग। -जागरण

खनुआ, जागरण संवाददाता। नेपाल के रुपंदेही जिला के मर्चवार क्षेत्र में चिकित्सकीय संसाधनों की भारी कमी है। क्षेत्र में कोई एंबुलेंस नहीं है। ऐसे में आकस्मिक रोगियों के लिए भारतीय क्षेत्र के अस्पताल सहारा बने हुए हैं। मधेशी बाहुल आबादी वाले कोटही माई गांव पालिका व मर्चवारी माई गांव पालिका के अधिकतर गांवों की दूरी नौतनवा कस्बा से महज पांच से छह किलोमीटर हैं।

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इस क्षेत्र से नेपाल के भैरहवा कस्बा की दूरी 16 से 20 किलोमीटर दूर है और रास्ते काफी खराब हैं। नौडियहवा, कदमहवा, बोगड़ी, भिलरहवा, पिपरहवा व बगौली आदि गांव सीमा सटे नेपाल के गांव हैं। नेपाल के ग्रामीण राजेंद्र यादव, प्रहलाद, त्रिभुवन चौधरी, जयपाल मौर्य, चंद्रशेखर, त्रिलोकी व राजेश ने बताया कि उनके क्षेत्र के रोगियों के लिए भारतीय क्षेत्र में इलाज कराने में सुगमता होती है। क्योंकि भारतीय अस्पतालों की दूरी नेपाल के अस्पतालों की दूरी से काफी कम पड़ती है। आकस्मिक रोगियों को चारपाई पर लाद नोमेंस पार कराना पड़ता है। भारतीय क्षेत्र में पहुंचते ही वाहन मिल जाते हैं।

नेपाल को हो रही गेहूं की तस्करी, विभाग मौन

भारत-नेपाल की खुली सीमा के कारण लक्ष्मीपुर के रास्ते भारत से गेहूं ले जाकर तस्कर नेपाल पहुंचा रहे हैं। सीमा पर दो पुलिस चौकियां होने के बावजूद भी उनके हौसले बुलंद हैं। वे बेखौफ होकर तस्करी कर रहे हैं। तस्करों के लिए सबसे सुगम रास्ता लक्ष्मीपुर खुर्द है, जहां वह अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। तस्कर पूरे दिन क्षेत्र में गेहूं खरीद कर सीमावर्ती गांव में स्टोर कर दे रहे हैं और रात होने पर साइकिल मोटरसाइकिल और ट्रैक्टर-ट्राली से भारी मात्रा में गेहूं लादकर नेपाल पहुंचा दे रहे हैं। भारत नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसी को भी भनक नहीं लग पा रही है।

तस्कर चार पहिया वाहन व मोटरसाइकिल से गेहूं ले जाकर सीमावर्ती गांव में स्टोर करते हैं और रात होते ही वे बार्डर पार करा देते हैं। भारतीय क्षेत्रों में गेहूं 2200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीद रहे हैं और नेपाल में 28 सौ से लेकर 3000 तक प्रति क्विंटल बेच रहे हैं। तस्करों के कारण ही सरकार द्वारा क्षेत्रों में लगाए गए गेहूं क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इसके पूर्व जब क्रय केंद्र खुलते थे तो तौल कराने के लिए किसानों की लंबी लाइनें लगती थी, लेकिन इस समय सरकार के कड़े निर्देश के बाद भी गेहूं क्रय केंद्र के प्रभारी दिन भर बैठे रह रहे हैं। कोई किसान गेहूं तौल कराने नहीं आ रहा है।

किसानों ने कहा कि सरकार के द्वारा 2125 रुपए समर्थन मूल्य है, तस्कर अधिक दामों में घर से ही गेहूं खरीदकर ले जा रहे हैं और नेपाल में बेच रहे हैं। इससे तस्करों के मनोबल कम नहीं हो रहे हैं और वह बेखौफ होकर तस्करी कर रहे हैं। लक्ष्मीपुर खुर्द में पुलिस चौकी होते हुए भी तस्करी तेजी से हो रही है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। पुलिस क्षेत्राधिकारी सूर्यबली मौर्य ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बनी पुलिस चौकियों को निर्देश दिया जा चुका है कि किसी भी कीमत पर तस्करी नहीं होनी चाहिए।


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