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जल संरक्षण का नजीर बना गोपाला का तालाब

17 तालाबों की देखरेख बिकाऊ साहनी करते हैं।तथा तीन तालाबों की देखभाल सुग्रीव व सुरेंद्र करते हैं। पहले ये तालाब गर्मी के मौसम में सूख जाते थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 01:07 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 01:07 AM (IST)
जल संरक्षण का नजीर बना गोपाला का तालाब
जल संरक्षण का नजीर बना गोपाला का तालाब

महराजगंज: घुघली विकास खंड के गोपाला गांव का तालाब जल संरक्षण की नजीर पेश कर रहा है। यहां पशु- पक्षियों को साल भर पानी मिल जाता है। मछली पालन से रोजगार भी मिलता है। ग्राम पंचायत की पहल पर राजकुमार साहनी ने नौ हेक्टेयर विस्तृत भू-भाग में फैले इस तालाब को पट्टे पर लिया जिसमें 20 बड़े तालाब हैं।

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17 तालाबों की देखरेख बिकाऊ साहनी करते हैं।तथा तीन तालाबों की देखभाल सुग्रीव व सुरेंद्र करते हैं। पहले ये तालाब गर्मी के मौसम में सूख जाते थे। लेकिन अब बिकाऊ साहनी गर्मी के मौसम में पानी सूखने पर तालाब में पंपिग सेट से पानी भरते हैं। हमेशा यह तालाब पानी से भरे रहते हैं।

विकाऊ साहनी कहते हैं कि तालाब में जो भी काम होता है। उसे हम लोग अपने पैसे से करते हैं। तालाब की खोदाई हो या मेड़ बंदी सभी पर पूरा ध्यान रहता है। मछली पालन से आर्थिक स्थिति होती है मजबूत

बिकाऊ साहनी तालाब में मछली पालन भी करते हैं । जिससे इनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही हैं। आसपास के मछुआरे तालाब पर आकर मछली खरीद महराजगंज, पुरैना, घुघली, गोपाला, चिउटहा, बलुअही धूस बाजार में ले जाकर बेचते हैं। बिकाऊ साहनी कहते हैं कि सभी को अपनी खाली भूमि में तालाब खोदवाना चाहिए, जिससे कि जलसंचय हो सके।

निखिल के लिए प्रेरणा बना पौधारोपण कार्य

महराजगंज: जहां पूरा देश कोविड 19 की कहर से जूझ रहा है,इस युवक ने इससे सीख लिया है।इसे कुदरत की नाराजगी मानकर उसे संवारने में जी जान से जुट गया है। घर के सामने एक छोटे से गड्ढे को एक एकड़ का विस्तार देकर जलाशय का निर्माण करा रहा है और पौधरोपण भी साथ साथ। घुघली क्षेत्र के मेदनीपुर गांव के एक प्रतिष्ठित परिवार का यह युवक निखिल शेखर त्रिपाठी लखनऊ में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। कोरोना के दौर में लखनऊ की हालत देखकर वह डेढ़ महीने पहले अपने गांव मेदनीपुर लौट आया और अगले ही दिन सामने के खेत के एक एकड़ प्लाट को तालाब बनाने में जुट गया। दस से बारह दिनों में ही वहां मौजूद छोटा सा गड्ढा बड़े तालाब में बदल गया। निखिल बताते हैं इसमें मछलियां पाली जाएंगी,लेकिन व्यवसायिक ²ष्टिकोण से नहीं बल्कि वातावरण के लिए जरूरी होने की वजह से साथ ही साथ पीपल,पाकड़,बरगद,आंवला,कदम आदि के पौधे रोपे जाएंगे। निखिल अभियान को यहीं तक नहीं रखना चाहते उनकी कोशिश गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने की है और इसके लिए उन्होंने वर्क प्लान भी तैयार किया है। टीम गठित कर शुरू करेंगे अभियान

इस काम के लिए निखिल ने एक टीम गठित कर अभियान शुरू करने की बात कही, जिसमें प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करना है। जन्मदिन, सालगिरह और त्योहार के अवसर पर पौधारोपण की योजना पर कार्य करना तथा पौधों की जन्मदिन की वर्षगांठ मनाने और उपहारों की जगह पौध भेंट करने की योजना है। वर्षा जल संरक्षण के लिए मानसून से पहले वर्कशाप की योजना पर बल देना है।


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