चार पीढि़यां एक छत के नीचे खाती हैं एक ही चूल्हे का खाना
चार पीढि़यों के 17 सदस्यों का है कुनबा सभी सदस्य एक-दूसरे को देते हैं आदर सम्मान स्नेह व सहयोग
महराजगंज : इस भौतिकवादी युग में जहां एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाते-जाते परिवार बिखर जाते हैं। समाज में संयुक्त परिवार का अभाव हो गया है, वहीं घुघली थाना क्षेत्र के बांसपार मिश्र गांव का एक ऐसा परिवार है, जिसकी चार पीढि़यां आज भी संयुक्त परिवार की मिसाल हैं। यह परिवार वर्तमान में भी एक छत के नीचे प्रेम और सौहार्द, समर्पण के साथ दुख-सुख में एक साथ खड़े रहते हैं। परिवार की चार पीढि़यों के बीच कुल 17 सदस्य हैं। सभी एक ही छत के नीचे और एक चूल्हे पर बना भोजन एक साथ करते हैं।
परिवार के मुखिया घुघली केन यूनियन के पूर्व चेयरमैन एवं पूर्व सरपंच 85 वर्षीय भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र हैं। इनके तीन पुत्र हैं। सबसे बड़े पुत्र हैं ग्राम प्रधान संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कुमार मिश्र। मझले पुत्र 44 वर्षीय बृजेश कुमार मिश्र और छोटे पुत्र 40 वर्षीय विनय कुमार मिश्र हैं। विजय कुमार मिश्र की धर्मपत्नी 58 वर्षीया रीता मिश्रा। विजय मिश्र के दो पुत्र हैं। एक 40 वर्षीय डॉक्टर सिद्धार्थ मिश्रा जो सेंट्रल विश्वविद्यालय सागर में सहायक प्रोफेसर और दूसरे पुत्र कुमार कार्तिकेय मिश्र हैं, जो देवरिया जनपद में खंड विकास अधिकारी हैं। सिद्धार्थ की पत्नी डॉक्टर स्वाति मिश्रा नोएडा में सहायक प्रोफेसर हैं। इनके एक पुत्र पांच वर्षीय सरण्य योगेश, जबकि कुमार कार्तिकेय की पत्नी 28 वर्षीया जागृति मिश्रा गोरखपुर में बैंक ऑफ बड़ौदा में सहायक शाखा प्रबंधक हैं। इनके एक पुत्र तीन वर्षीय सालोक्य ऋषि हैं। इसी तरह भुनेश्वर प्रसाद के दूसरे पुत्र बृजेश मिश्र कुशीनगर सिविल कोर्ट में स्टेनोग्राफर हैं। इनकी पत्नी 40 वर्षीय नीता मिश्रा के दो संतान एक 18 वर्षीय अनिमेष और पुत्री 14 वर्षीय कुमारी अनन्या हैं। इसी तरह से भुनेश्वर प्रसाद मिश्र के सबसे छोटे पुत्र 40 वर्षीय विनय कुमार मिश्रा की पत्नी 36 वर्षीया अभिलाषा मिश्रा हैं। जिनके दो बेटे हैं। एक 14 वर्षीय शिवांश और 12 वर्षीय नीलांश हैं। सभी एक साथ रहते हुए एक ही चूल्हे पर बना भोजन करते हैं और एक संयुक्त परिवार व उसकी एकता की मिसाल समाज में प्रस्तुत कर रहे हैं। विजय कुमार ने बताया कि उनका एक आवास गोरखपुर के बशारतपुर में है, जहां उनकी छोटे पुत्र कुमार कार्तिकेय दो अन्य भाई और उनकी पत्नियां बच्चे एक साथ रहते हैं। खाली वक्त और छुट्टी के दिनों में जब सभी गांव आते हैं, तो एक ही साथ आनंद से रहते-खाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि परिवार के बेटी-बहनों के बाल-बच्चों को जोड़ा जाए तो इसकी सदस्यों की संख्या 56 हो जाएगी। परिवार के मुखिया भुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि हमारा परिवार संयुक्त है। गोरखपुर और महराजगंज दोनों में मिला जुलाकर रहते हैं। एक ही चूल्हे पर भोजन बनता है। परिवार को चलाने और सामंजस्य बनाने के लिए सभी में त्याग और प्रेम की भावना होनी चाहिए।