विदेशी जमीन पर देश के लिए उगा रहे रोजगार की पौध
भारतीय युवाओं को काम देकर विदेश जमीन पर देसी रोजगार की पौध उगाने का बड़ा कार्य कर रहे हैं। महराजगंज जिले के परतावल के कोटवा निवासी हलीम खान का परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था। छोटे से कपड़े की दुकान से होने वाली आय से जैसे-तैसे घर चलता था।
महराजगंज: सपनों की उड़ान सिर्फ सोचने से नहीं होती। मेहनत के पंख लगा खुले आसमान में उड़ने का हौसला भी जरूरी होता है। यह साबित किया है परतावल के कोटवा निवासी व्यवसायी हाशिम खान ने। वह रोजगार की तलाश में विदेश गए। अब वहां मेहनत और विश्वास की बदौलत कारोबार खड़ा कर भारत का मान बढ़ा रहे हैं। भारतीय युवाओं को काम देकर विदेश जमीन पर देसी रोजगार की पौध उगाने का बड़ा कार्य कर रहे हैं।
महराजगंज जिले के परतावल के कोटवा निवासी हलीम खान का परिवार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था। छोटे से कपड़े की दुकान से होने वाली आय से जैसे-तैसे घर चलता था। हाशिम ने बताया कि नौ सदस्यों के परिवार कोपालने में पिता को परेशान देख जैसे-तैसे 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी की। आगे पढ़ना चाहता थे, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते नहीं पढ़ सका। 1997 में परिवार की आर्थिक स्थिति दूर करने के लिए मित्रों की मदद से पहली बार सऊदी अरब के रियाद गया। वहां एक दुकान पर नौकरी करने लगे। परिश्रम और ईमानदारी से कफील (मालिक) का विश्वास जीता। कफील ने दूसरी शाखा खोली और सारी जिम्मेदारी हाशिम को सौंप दी। यहां भी मेहनत रंग लाई, विश्वास और मुनाफे को देखते हुए हाशिम को बिजनेस पार्टनर बना लिया। इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे भाई नाजिम को 2002 में विदेश बुलाया और अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। धीरे-धीरे अमेरिकन स्पेयर पार्ट्स की तीन दुकान व एक गोदाम खोल 2005 में तीसरे भाई खादीम को भी बुला लिया।
हाशिम ने भारत के विभिन्न राज्यों से 80 लोगों को ड्राइवर व सेल्समैन की नौकरी दी है। इसमें परतावल क्षेत्र के 25 लोग हैं। हाशिम के तीनों भाइयों पत्नी व बच्चों संग सऊदी अरब का बीजा है। मन में पढ़ने की ललक थी तो उन्होंने बीकाम, प्रोजेक्ट मैनेजर व एमबीए की पढ़ाई भी दी कालेज आफ कामर्स रियाद, सऊदी अरब से पूरी कर ली।