लापरवाही की भेंट चढ़ रही मत्स्य केसीसी योजना
केसीसी योजना जिले में बैंकों की मनमानी के कारण परवान नहीं चढ़ पा रही है। मत्स्य पालक किसान योजना के लाभ के लिए तहसील से लेकर मत्स्य आफिस व बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं।
महराजगंज: केंद्र सरकार की ओर से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही केसीसी योजना जिले में बैंकों की मनमानी के कारण परवान नहीं चढ़ पा रही है। मत्स्य पालक किसान योजना के लाभ के लिए तहसील से लेकर मत्स्य आफिस व बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन लाख प्रयासों के बावजूद किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मत्स्य पालकों की हालत सुधारने के लिए निजी व सरकारी तालाब मालिकों का किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने की योजना है। इसके तहत तालाब में मछली पालन के लिए डेढ़ लाख रुपये प्रति हेक्टेयर, फंगेसियस मछली पालन के लिए पांच लाख प्रति हेक्टेयर, उन्नत बीज उत्पादन के लिए दो लाख 80 हजार रुपया, कार्प हेचरी के लिए ढ़ाई लाख रुपया प्रति यूनिट, शहरी मत्स्य विक्रेताओं को 25 हजार रुपया एवं ग्रामीण मत्स्य विक्रेताओं को 19 हजार रुपया प्रति व्यक्ति ऋण दिया जाएगा। ताकि मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े किसानों व मछुआरों तक यह योजना पहुंच पाएं और वे बढ़ चढ़ कर वे इसका लाभ उठा पाएं। योजना के लाभ के लिए मत्स्य किसानों को आवेदन के साथ आधार कार्ड, जमीन का एलपीसी, रसीद, दो फोटो व बैंक पासबुक की छाया प्रति जिला मत्स्य कार्यालय में जमा करना है। वहीं, इसके बाद कार्यालय की ओर से स्वीकृत कर इसे बैंकों को भेजा जाता है।
सहायक मत्स्य निदेशक मत्स्य एके शुक्ला ने बताया कि जिले में करीब पांच हजार मत्स्य पालक पंजीकृत हैं। जिसमें 3989 किसानों को केसीसी से लाभान्वित कराए जाने की योजना है। कम ब्याज पर ऋण प्राप्तकर पालकों की स्थिति सुधारने की योजना में बैंकों का सहयोग नहीं मिल पा रहा है। अबतक विभाग से 156 मत्स्य पालकों की फाइलें बनाकर बैंकों को भेजी गई हैं, लेकिन बैंकों से मात्र 11 फाइलों का ही सत्यापन अबतक किया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी पवन अग्रवाल ने कहा कि मत्स्य केसीसी योजना के बैंकों की प्रगति निराशाजनक है। इस मामले में जिला अग्रणी बैंक के मैनेजर को पत्र भेजा जाएगा। उसके बाद भी अगर प्रगति नहीं पाई जाती है तो संबंधित बैंक के लापरवाह कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।