Move to Jagran APP

बीमार होती रहीं गाय, उदासीन रहे जिम्मेदार

गोसदन मधवलिया में गोवंशीय पशुओं के चारा के लिए बीते फरवरी माह में करीब 7.60 लाख रुपये का टेंडर हुआ था। चारा चोकर खली आदि की आपूर्ति का दावा भी किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:17 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:07 AM (IST)
बीमार होती रहीं गाय, उदासीन रहे जिम्मेदार
बीमार होती रहीं गाय, उदासीन रहे जिम्मेदार

महराजगंज: गोसदन मधवलिया में गोवंशीय पशुओं के चारा के लिए बीते फरवरी माह में करीब 7.60 लाख रुपये का टेंडर हुआ था। चारा, चोकर, खली आदि की आपूर्ति का दावा भी किया जा रहा है। बावजूद गायों के पेट की अंतड़ियां सूखती रहीं और कई को दम भी तोड़ना पड़ता था। वर्तमान में जो गाय गोसदन में मौजूद हैं, उनकी भी हड्डी पसली नजर आ रही है। अब सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 954 गांव गोसदन में रखीं गई है।

loksabha election banner

गोसदन में गायों की संख्या में भारी अंतर को लेकर हुई कार्रवाई के बाद प्रशासनिक महकमें में हड़कंप जरूर है। लेकिन गोसदन में दु‌र्व्यवस्था का आलम आज भी बरकरार है। कमिश्नर के आदेश के बाद भी यहां गायों को पानी पीने के लिए तालाब में रैंप नहीं बनाया जा सका। रैंप नहीं होने से झुंड में जब गाय पानी पीने के निकलती हैं तो निर्बल गाय मिट्टी में फंस जाती हैं और निकल नहीं पाती हैं धीरे धीरे उनकी मौत हो जाती है।

गोवंशीय पशुओं के भरण-पोषण बात करें तो इसके लिए फरवरी माह में 760555 रुपये का टेंडर हुआ था। इसमें राइसब्रान 90 क्विंटल, गुडृ 36 क्विंटल, भूसा 300 क्विटल, चोकर 60 क्विंटल, खली 40 क्विटल, इसके बाद दूसरी बार राइसब्रान और चोकर 50-50 क्विंटल आपूर्ति की हुई। लेकिन गायों के स्वास्थ्य पर दिन प्रतिदिन पड़ रहे दुष्प्रभाव के कारण इस व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी है। और तो और अभी तक मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के निलंबित होने के बाद इसका चार्ज भी किसी को नहीं दिया गया, जिससे यह विभाग बिना अधिकारी के हो गया है।

---------

यह भी जानिए

निचलौल: जिला गोसदन मधवलिया रहने वाले पशुओं को ग्रामसभा मैरी, पिपरिया व झारवालिया के खाते से पैसा दिया जाता है। ग्राम प्रधानों ने बताया कि प्रत्येक गांव से प्रतिमाह नब्बे हजार रुपये गोसदन में चारा के लिए प्रति 100 पशुओं के लिए दिया जाता था। ऐसे में 300 सौ पशुओं के लिए प्रतिमाह ग्राम सभाओं से 2 लाख 70 हजार रुपये मिलते थे। यह व्यवस्था बीते चार माह से शुरू हुई थी । इसके साथ ही ग्राम सभाओं से चारा भूसा के लिए प्रबंध अलग से कराया जा रहा था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.