Coronavirus : महराजगंज में साफ्टवेयर इंजीनियर के नमूने की केजीएमयू में होगी जांच UP News
महराजगंज लौटे इन्फोसिस कंपनी जापान में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत युवक के बलगम का नमूना चिकित्सकों की निगरानी में मंगलवार को लिया गया। जांच के लिए उसे लखनऊ भेजा गया है।
महराजगंज, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण के संदेह में नेपाल की सीमा से सटे महराजगंज जिले के एक इंजीनियर की बलगम के जांच के नमूने को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ भेजा गया है। साफ्टवेयर इंजीनियर जापान से लौटा है और बीते कई दिन से उसकी तबियत खराब चल रही है।
महराजगंज के जिला अस्पताल महराजगंज में भर्ती निचलौल नगर पंचायत के लोहियानगर वार्ड निवासी व इन्फोसिस कंपनी जापान में साफ्टवेयर इंजीनियर के बलगम का नमूना आज चिकित्सकों की निगरानी में लिया गया। इसके बाद नमूना जांच के लिए लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) भेजा गया है।
जिला अस्पताल में भर्ती
साफ्टवेयर इंजीनियर बीते नौ मार्च को जापान से घर लौटा है। सोमवार को सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे आइसोलेट करते हुए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। युवक पिछले एक वर्ष से जापान के ओसाका शहर में कार्यरत था। युवक को जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. प्रमोद कुमार की निगरानी में 14 दिनों तक रखा जाएगा। वार्ड में किसी अन्य को प्रवेश की अनुमति नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि डा. एवी त्रिपाठी और एलटी देवेश पांडेय द्वारा युवक के बलगम का नमूना लेकर लखनऊ मेडिकल कालेज भेजा गया है।
सोनौली व ठूठीबारी में जारी है स्क्रीनिंग
कोरोना को लेकर सोनौली व ठूठीबारी में सतर्कता बरती जा रही है। नेपाल और भूटान को छोड़कर सभी विदेशियों को भारत में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। बार्डर पर तैनात चिकित्सकों की टीम द्वारा भारत व नेपाल के नागरिकों की स्क्रीनिंग की जा रही है। स्क्रीनिंग के बाद ही भारत में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।
जिला अस्पताल में बढ़ रही मरीजों की संख्या
कोरोना को लेकर आमजन में भी जागरूकता आई है। लोगों को थोड़ी सी भी खांसी, बुखार हो रहा है, तो वह तत्काल अस्पताल का रूख कर रहे हैं। आलम यह है कि जिला अस्पताल में पहले की अपेक्षा मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। प्रत्येक दिन करीब 500 मरीज सिर्फ सर्दी, जुकाम के आ रहे हैं।
कुशीनगर एएसआई संरक्षित स्मारक 31 मार्च तक बंद
उधर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीन कुशीनगर के संरक्षित स्मारक 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। महानिदेशक के स्तर से इस आशय का आदेश देर रात मिलने के बाद विभाग के स्थानीय जिम्मेदारों ने स्मारकों के मुख्य प्रवेश द्वार पर ताला लगाकर नोटिस चस्पा कर दिया। विभाग ने भारत सरकार के निर्देश पर यह कदम उठाया है। कुशीनगर में विभाग के तीन संरक्षित स्मारक हैं। मुख्य महापरिनिर्वाण मन्दिर है, जहां बुद्ध की 5वीं सदी की विश्वप्रसिद्ध शयनमुद्रा वाली प्रतिमा स्थित है। माथाकुंवर मन्दिर में बुद्ध की 5वीं सदी की ध्यानमुद्रा वाली प्रतिमा स्थित है।
बुद्ध की निर्वाण स्थली रामभार स्तूप स्थित है। इन तीनों स्थानों पर बड़ी संख्या में देशी विदेशी पर्यटक आते हैं। विभाग के इस कदम से मंगलवार को सुबह आए भिक्षुओं व देशी-विदेशी सैलानी वापस हो लिए। पर्यटकों को इस सूचना से काफी मायूसी हुई बाहर सड़क पर ही पूजा कर लौट गए। इसके अतिरिक्त जिले के फाजिलनगर में स्थित जैन तीर्थंकर की महापरिनिर्वाण स्थली व अन्य स्मारकों को भी बंद कर दिया गया है। अधीक्षक अविनाश त्रिपाठी ने बताया कि महानिदेशक के आदेश का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। साफ -सफाई के लिए परिसर में केवल विभागीय कर्मचारियों को ही जाने की अनुमति है।