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गम और गुस्से में उबल रहा बरगदवा हरैया, तनाव

जिला पंचायत सदस्य के हिस्ट्रीशीटर पुत्र जितेंद्र यादव के अंतिम संस्कार के बाद भले ही पुलिस राहत की सांस ले रही हो लेकिन सबसे बड़ी चुनौती बरगदवा हरैया गांव में कानून व्यवस्था की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 01:31 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:05 AM (IST)
गम और गुस्से में उबल रहा बरगदवा हरैया, तनाव
गम और गुस्से में उबल रहा बरगदवा हरैया, तनाव

महराजगंज: जिला पंचायत सदस्य के हिस्ट्रीशीटर पुत्र जितेंद्र यादव के अंतिम संस्कार के बाद भले ही पुलिस राहत की सांस ले रही हो, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती बरगदवा हरैया गांव में कानून व्यवस्था की है।

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वर्चस्व और अदावत में उबल रहे बरगदवा हरैया गांव में गम और गुस्सा कम नहीं हुआ है। मृतक परिवार को अगर पुलिस भरोसे में नहीं ले पाती है, तो इसका अंजाम और भी खतरनाक हो सकता है। क्योंकि सात अक्टूबर को जितेंद्र यादव पर हुए जानलेवा हमले में पुलिस की ओर से प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई थी। उसकी पत्नी बबिता यादव आए दिन पुलिस कार्यालय का चक्कर लगाकर रही थी। प्रार्थना पत्र देकर उसने पति पर फिर से हमला होने की आशंका जताई थी, लेकिन पुलिस ने उन प्रार्थना पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया। गुंडाएक्ट, गैंगस्टर और हिस्ट्रशीटर के साथ जितेंद्र पर मुकदमों की फेहरिस्त से पुलिस की सहानुभूति उसे नहीं मिल पाई।

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इंसेट-

आरोपितों के साथ पुलिस भी टारगेट पर

जितेंद्र यादव पर पहले जानलेवा हमला करने, फिर हत्या में शामिल आरोपितों को जितना हिस्ट्रीशीटर का परिवार कसूरवार मानता है, उससे कम पुलिस को भी मृतक का परिवार दोषी नहीं मानता है। जिसका नतीजा यह रहा है कि शव के अंतिम संस्कार कराने में पुलिस के पसीने छूट गए। हत्यारोपितों की गिरफ्तारी तो दूर कानून व्यवस्था संभालने में पुलिस के 48 घंटे निकल गए। जिला पंचायत सदस्य अमरावती देवी का आरोप है कि प्रभावशाली लोगों की वजह से उनके बेटे पर मुकदमों की फेहरिस्त बढ़ी, हमला होने के बाद भी कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। पुलिस अगर मदद करती तो बेटे की हत्या नहीं होती।

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