खर्च हो गए 81 लाख, फिर भी घूम रहे गोवंश
जिले के ग्रामीण क्षेत्र में अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल में पशुओं के भरण पोषण के नाम पर लंबी रकम खर्च की जा चुकी है। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में गोवंशीय पशु घूम रहे हैं। उनको पकड़ कर आश्रय स्थल तक भी नहीं ले जाया जा रहा है। अब तक गोवंशीय पशुओं के भरण पोषण पर 81 लाख रुपये खर्च किया जा चुका है।
बस्ती: जिले के ग्रामीण क्षेत्र में अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल में पशुओं के भरण पोषण के नाम पर लंबी रकम खर्च की जा चुकी है। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में गोवंशीय पशु घूम रहे हैं। उनको पकड़ कर आश्रय स्थल तक भी नहीं ले जाया जा रहा है। अब तक गोवंशीय पशुओं के भरण पोषण पर 81 लाख रुपये खर्च किया जा चुका है।
पिछले साल सरकार ने गांवों में किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले छुट्टा गोवंशीय पशुओं से निजात दिलाने के लिये ग्रामीण क्षेत्र में अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना की गई थी। जैसे-तैसे ग्रामीण क्षेत्र में घूम रहे कुछ गोवंश को पकड़ कर आश्रय स्थल पर लाया गया। इनके संरक्षण की व्यवस्था में खामियों के कारण आश्रय स्थल से पशु निकल भागे। ऐसा इसलिये हुआ कि अधिकांश पशु आश्रय स्थल में न तो चहारदीवारी का निर्माण कराया गया और न कंटीले तारों का बाड़। इस समय स्थिति यह है कि आश्रय स्थलों पर महज नाम के गोवंशीय पशु मौजूद है, यह अलग बात है कि कागजों में आश्रय स्थलों पर गोवंशीय पशुओं की पर्याप्त संख्या दिखाई जा रही है। इनके भरण पोषण के नाम पर 81 लाख रुपये खर्च भी हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बड़ी संख्या में गोवंशीय पशु घूम घूम कर लोगों की मुसीबत का कारण बन रहे हैं। कहीं किसी को मार कर घायल कर दे रहे हैं तो कहीं खेतों में बोई गई फसल चट कर जा रहे हैं। सीवीओ डा. अश्वनी कुमार तिवारी ने कहा कि जिले में 118 अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल संचालित हैं। इनमें 2009 गोवंशीय पशु संरक्षित किये गए हैं। जिन पशु आश्रय स्थलों पर कंटीले तार का बाड़ नहीं लगा है उनमें लगाने के निर्देश दिए गए हैं।