अब 'आधार' के जरिये छात्रवृत्ति के घोटालेबाजों को पकड़ेगी योगी सरकार, आवेदन में हुआ अनिवार्य
उत्तर प्रदेश में समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2020-21 से छात्रवृत्ति के ऑनलाइन आवेदन भरने में आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है।
लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब 'आधार' के जरिये छात्रवृत्ति के घोटालेबाजों को पकड़ेगी। समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2020-21 से छात्रवृत्ति के ऑनलाइन आवेदन भरने में आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है। आधार नंबर ही नहीं, जब तक इसका प्रमाणीकरण नहीं होगा तब तक ऑनलाइन आवेदन पत्र आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। यानी आधार नंबर में दर्ज विवरण नाम, पिता का नाम, जन्म तिथि व जेंडर आदि का मिलान हाईस्कूल में दर्ज विवरण से किया जाएगा। आधार का प्रमाणीकरण होने के बाद ही छात्रवृत्ति के फार्म स्वीकार होंगे।
समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति, जनजाति व सामान्य वर्ग के गरीबों को पूर्वदशम व दशमोत्तर छात्रवृत्ति प्रदान करता है। यह छात्रवृत्ति 2.50 लाख रुपये सालाना से कम आमदनी वाले परिवारों के छात्र-छात्राओं को मिलती है। छात्रवृत्ति में अक्सर कई जिलों में फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाकर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति लेने की शिकायतें मिलती हैं। इस फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए सरकार ने आधार को अनिवार्य कर दिया है। इसे वर्ष 2020-21 से लागू किया जाएगा।
इसके बाद फर्जी आय प्रमाण पत्र के आधार पर कोई छात्रवृत्ति प्राप्त करने की कोशिश करेगा तो वह तत्काल पकड़ा जाएगा। छात्रवृत्ति के आवेदन के साथ आधार नंबर भी विभाग के पास आ जाएगा। आधार नंबर अब पैन कार्ड से जुड़ गया है। ऐसे में वास्तविक आय छुपाकर यदि कोई फर्जी आय प्रमाण पत्र के आधार पर छात्रवृत्ति का लाभ उठाता है तो आधार नंबर से तुरंत पकड़ में आ जाएगा। विभाग आधार नंबर को आयकर विभाग के डेटा से मैच करेगा। इसमें आयकर रिटर्न भरने वालों में यदि किसी का नाम आता है तो उसे तत्काल पकड़ लिया जाएगा। गरीबों का हक मारने वाले ऐसे घोटालेबाजों के खिलाफ सरकार एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई करेगी।
समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने बताया कि छात्रवृत्ति योजना में आधार प्रमाणीकरण लागू होने से इसमें और पारदर्शिता आएगी। फर्जी आधार बनवाने वाले भी प्रमाणीकरण में बाहर हो जाएंगे। आधार प्रमाणीकरण का सारा काम सॉफ्टवेयर के जरिए होगा। इसके लागू होने से ज्यादा से ज्यादा गरीबों को उनका हक मिलेगा।
इन पर होगी विशेष नजर
- शुल्क प्रतिपूर्ति प्राप्त करने वाले छात्र परीक्षा में शामिल हो रहे हैं या नहीं?
- पाठ्यक्रम में तय सीटों के सापेक्ष 30 फीसद से अधिक एससी-एसटी छात्रों को प्रवेश देने वाले संस्थानों पर
- शुल्क प्रतिपूर्ति में एक करोड़ रुपये से अधिक की मांग करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों पर