योगी सरकार बेसहारा गोवंश पालने पर देगी अनुदान, प्रतिदिन प्रति गोवंश के हिसाब से मिलेंगे रुपये
पशु पालने वालों को 30 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से भरण-पोषण की धनराशि सीधे बैंक खाते में दी जाएगी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। किसानों और पशुपालकों द्वारा स्वेच्छा से बेसहारा और निराश्रित गोवंश पालने की योजना को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह 'माननीय मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' के नाम से जानी जाएगी। इस योजना में प्रतिदिन प्रति गोवंश के हिसाब से पालक को तीस रुपये दिये जाएंगे। यह धनराशि सीधे संबंधित पालकों के खाते में जाएगी।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इसके क्रियान्वयन के लिए पहले चरण में स्वेच्छा से पालने वालों को एक लाख गोवंश दिये जाने की योजना है। इस पर अनुमानित एक अरब नौ करोड़ 50 लाख रुपये खर्च होंगे। जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि जिलों में ऐसे इच्छुक किसानों, पशुपालकों और स्वयंसेवकों को चिह्नित करें जो निराश्रित गोवंश पालने को तैयार हैं। जिलाधिकारी द्वारा ऐसे पशु पालने वालों को 30 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से भरण-पोषण की धनराशि सीधे बैंक खाते में दी जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एवं संचालित अस्थायी और स्थायी केंद्रों के जरिये गोवंश सिपुर्द किये जाएंगे और उनकी नियमित निगरानी भी होगी।
उप्र में करीब 12 लाख गोवंश बेसहारा
पशुधन संख्या की दृष्टि से यह देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। 2012 की पशुगणना के अनुसार प्रदेश में दो करोड़ पांच लाख 66 हजार गोवंश हैं। इनमें करीब 12 लाख गोवंश बेसहारा होने का अनुमान है। विभाग द्वारा निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश के संरक्षण एवं भरण-पोषण के लिए स्थायी, अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, वृहद गोसंरक्षण केंद्र, गोवंश वन्य विहार (बुंदेलखंड क्षेत्र में) और पशु आश्रय गृह संचालित किए जा रहे हैं।
पंजीकृत गोशालाओं में भी दिया जा रहा अनुदान
सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 523 पंजीकृत गोशालाओं को राज्य सरकार द्वारा संरक्षित गोवंश के 70 प्रतिशत की संख्या को आधार मानकर 30 रुपये प्रति गोवंश 365 दिनों के लिये अनुदान दिया जा रहा है।
दर्ज होगा रिकार्ड, न बेच सकेंगे और न छुट्टा छोड़ पाएंगे
सरकार द्वारा संचालित अस्थायी, स्थायी केंद्रों से सिपुर्द किये गए गोवंश से संबंधित रिकार्ड दर्ज किये जाएंगे। इसकी कार्यवाही संबंधित जिलाधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत, ब्लाक और तहसील स्तर की स्थानीय समिति के माध्यम से की जाएगी। स्थानीय समिति प्रगति से अवगत कराएगी। सिपुर्दगी में लेने के बाद पालक किसी भी दिशा में गोवंश को बेचेगा नहीं और न ही छुट्टा छोड़ेगा।
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