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योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार 50 पार वाले भ्रष्‍ट अध‍िकार‍ियों को जबरन करेगी रिटायर, मुख्य सचिव ने सभी विभागों को जारी किया शासनादेश

योगी आदित्‍यनाथ सरकार 50 साल पूरे कर चुके भ्रष्ट और दागी अधिकारियों-कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट देगी। इसके लिए एक स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई है। कमेटी से 31 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी गई है। इसका शासनादेश मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने जारी कर दिया है।

By Prabhapunj MishraEdited By: Wed, 06 Jul 2022 06:49 PM (IST)
योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार 50 पार वाले भ्रष्‍ट अध‍िकार‍ियों को जबरन करेगी रिटायर, मुख्य सचिव ने सभी विभागों को जारी किया शासनादेश
योगी आदित्‍यनाथ सरकार 50 साल पूरे कर चुके भ्रष्ट और दागी अधिकारियों-कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट देगी

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 द‍िनों में संकल्‍प पत्र के वादे पूरे करने के बाद बचे हुए वादों को पूरा करने में जुट गए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी हर विभाग के विकास कार्य को धरातल पर देखना चाहते हैं। विभागों की समीक्षा के दौरान उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि अब बेईमान-भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। इनको तत्काल वीआरएस देकर नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जानी चाह‍िए।

शासन ने सभी विभागों को 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके कार्मिकों के संदर्भ में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए स्क्रीन‍िंग की कार्यवाही 31 जुलाई तक हर हाल में पूर करने का निर्देश दिया है। कार्मिकों की 50 वर्ष आयु के निर्धारण के लिए कट आफ डेट 31 मार्च 2022 होगी। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इस बारे में सभी विभागों को शासनादेश जारी कर दिया है।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव को निर्देश दिया है कि वे 50 वर्ष पार कर चुके कार्मिकों के संदर्भ में स्क्रीन‍िंग की कार्यवाही कराकर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किये गए कार्मिकों की सूचना निर्धारित प्रारूप पर अपने हस्ताक्षर से कार्मिक विभाग को 15 अगस्त तक उपलब्ध करा दें। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि 50 वर्ष की आयु पूरी करने वाले किसी सरकारी सेवक के मामले को स्क्रीनि‍ंग कमेटी के सामने रखने पर यदि उसे सेवा में बनाये रखने का एक बार निर्णय ले लिया गया है तो सामान्यत: उस सरकारी सेवक को उसकी सेवानिवृत्ति आयु प्राप्त करने तक सेवा में बनाये रखा जाए।

ऐसे कार्मिकों के मामलों को आगामी वर्षों में स्क्रीन‍िंग कमेटी के समक्ष फिर से रखने की जरूरत नहीं है। ऐसे मामलों में यदि कोई महत्वपूर्ण तथ्य नियुक्ति प्राधिकारी की जानकारी में आते हैं तो वे किसी भी समय ऐसे सरकारी सेवक को जनहित में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने का निर्णय ले सकते हैं। वे उसका मामला भविष्य में स्क्रीन‍िंग कमेटी के सामने भी रख सकते हैं।