बड़बोले मंत्री मोहसिन रजा ने कराई योगी आदित्यनाथ सरकार की किरकिरी
योगी आदित्यनाथ सरकार के मुस्लिम वक्फ एवं हज राज्यमंत्री मोहसिन रजा अक्सर ही अपने बयानों से सरकार की किरकिरी कराते रहते हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मुस्लिम वक्फ एवं हज राज्यमंत्री मोहसिन रजा अक्सर ही अपने बयानों से सरकार की किरकिरी कराते रहते हैं। राजधानी में मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने के उनके विवादित बयान पर तो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को दखल देना पड़ा।
प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के बाद मंगलवार देर रात राज्य सरकार सक्रिय हो गई। बयान उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा का था, लेकिन उसे बदलवाने के लिए मोहसिन के सीनियर मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी को जगाकर उनसे नुकसान की भरपाई करने के लिए नया बयान जारी करने को कहा गया। इससे अब यह साफ हो गया कि उत्तर प्रदेश के मदरसों के छात्र पहले की तरह ही कुर्ता पायजामा पहनते रहेंगे, कोई नया ड्रेस कोड लागू होने नहीं जा रहा।
इस नए घटनाक्रम से यह भी साफ हो गया कि हज विभाग के दोनों मंत्रियों में आपसी तालमेल बिल्कुल नहीं है और मोहसिन रजा ने तो सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी। मदरसों में डे्रस कोड वाला मोहसिन रजा का बयान मंगलवार दोपहर करीब बारह बजे वायरल हुआ था, लेकिन डैमेज कंट्रोल की कोशिश रात साढ़े नौ बजे लक्ष्मीनारायण चौधरी को पीएमओ का फोन आने के बाद शुरू हुई।
इसके बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उन्हें फोन किया। कुछ देर बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन गया और आखिर में उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने भी फोन किया। सबका एक ही कहना था कि इस गैर जिम्मेदार बयान का तत्काल खंडन किया जाना चाहिए। तब जाकर देर रात चौधरी ने ट्वीट किया कि मदरसों में डे्रस कोड का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
बुधवार को चौधरी लक्ष्मीनारायण ने अपने जूनियर मंत्री मोहसिन रजा के बयान को बिल्कुल ही खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि देश में हर व्यक्ति को खाने-पीने व पहनने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि यह बयान राज्यमंत्री ने क्यों दिया, इसके बारे में वही बता सकते हैं। चौधरी ने कहा यदि हम मदरसों को ड्रेस दे नहीं रहे हैं तो उनकी ड्रेस तय कैसे कर सकते हैं। उनके अनुसार ड्रेस तय करने का अधिकार मौलानाओं, मदरसा प्रबंधक व शिक्षकों को है।
उन्होंने कहा कि यह बयान राज्यमंत्री ने क्यों दिया, इसके बारे में वही बता सकते हैं। चौधरी ने कहा यदि हम मदरसों को ड्रेस दे नहीं रहे हैं तो उनकी ड्रेस तय कैसे कर सकते हैं। ड्रेस तय करने का अधिकार मौलाना, मदरसा प्रबंधक व शिक्षकों को है।
मदरसा बोर्ड में भी नहीं आया प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने बताया कि मदरसों में किसी भी प्रकार का ड्रेस कोड निर्धारित करने का कोई भी प्रस्ताव परिषद की किसी भी बैठक में पेश नहीं किया गया है। न ही इस तरह का कोई निर्देश शासन स्तर से प्राप्त हुआ हैं।
बड़बोले मंत्री ने कराई किरकिरी, बयान पर कायम
बुधवार को दिन भर मोहसिन रजा का फोन उठा नहीं। शाम को बात हुई तो वह मदरसों में ड्रेस कोड लागू किए जाने संबंधी अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने कहा कि चौधरी साहब ने जो बोला है, उस पर वह टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने फिर कहा कि वह तो मदरसों के छात्रों को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं और इसीलिए डे्रस कोड लागू करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए यह प्रस्ताव देंगे, लेकिन उस पर अंतिम निर्णय करना सरकार का काम है।
मोहसिन के इन बयानों पर भी हो चुका है विवाद
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