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योगी मंत्रिमंडल में शामिल नए मंत्रियों के विभागों का बंटवारा, जितिन प्रसाद को प्राविधिक शिक्षा की जिम्मेदारी

Department Allotment To New Yogi Adityanath Ministers लखनऊ में रविवार को शपथ लेने वाले सातों मंत्रियों को फिलहाल राजधानी न छोड़ने के निर्देश हैं। आज सीएम योगी आदित्यनाथ इनके साथ बैठक भी करेंगे। इसके बाद सभी नए मंत्रियों को विभाग भी आवंटित किया जाएगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 11:44 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 09:37 PM (IST)
मंत्रियों के पास अपने काम को दिखाने का सिर्फ तीन-चार महीने ही अवसर मिलेगा

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल के विस्तार में रविवार को शपथ लेने वाले एक कैबिनेट तथा छह राज्य मंत्रियों को सोमवार देर शाम विभागों के दायित्व सौंप दिए गए। इन मंत्रियों के पास अपने काम को दिखाने का सिर्फ तीन-चार महीने ही अवसर मिलेगा।

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कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को प्राविधिक शिक्षा विभाग का दायित्व प्रदान किया गया है। राज्य मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार को राजस्‍व विभाग, राज्य मंत्री संजीव कुमार को समाज कल्‍याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्‍याण विभाग, राज्य मंत्री दिनेश खटीक को जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग का दायित्व मिला है। इसी प्रकार राज्य मंत्री पल्टू राम को सैनिक कल्‍याण, होमगार्ड, प्रान्‍तीय रक्षक दल एवं नागरिक सुरक्षा विभाग, राज्य मंत्री डॉ. संगीता बलवंत को सहकारिता विभाग, धर्मवीर प्रजापति को औद्योगिक विकास विभाग का दायित्व प्रदान किया गया है।

लखनऊ में रविवार को शपथ लेने वाले सातों मंत्रियों को फिलहाल राजधानी न छोड़ने के निर्देश हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ इनके साथ बैठक भी की। इसके बाद सभी नए मंत्रियों को विभाग भी आवंटित कर दिया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी सात मंत्रियों को आज लखनऊ में रुकने के लिए कहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने वाले सभी सात मंत्रियों को लोकभवन बुलाया। सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ नए मंत्रियों की शिष्टाचार भेंट हुई। इसके बाद नए मंत्रियों को इनके विभाग दे दिए गए। 

योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल के विस्तार में मनोनीत विधान परिषद सदस्य जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई। इनके साथ ही एक विधान परिषद सदस्य तथा पांच विधायकों को राज्य मंत्री की शपथ दिलाई गई। रविवार शाम राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री तथा छत्रपाल सिंह गंगवार, पल्टू राम, डा.संगीता बलवंत, संजीव कुमार, दिनेश खटीक और धर्मवीर प्रजापति को राज्य मंत्री के तौर पर पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। इन सात नए मंत्रियों को मिलाकर टीम योगी आदित्यनाथ में अब कुल 60 सदस्य हो गए हैं जो मंत्रिमंडल की अधिकतम संख्या है। इनमें 24 कैबिनेट मंत्री, नौ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 27 राज्य मंत्री हैं। इनमें चार महिला मंत्री शामिल हैं।

जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री बनाकर भाजपा ने उनसे अपना वादा निभाया है। राज्य मंत्री की शपथ लेने वालों में आगरा के धर्मवीर प्रजापति भाजपा के विधान परिषद सदस्य व उत्तर प्रदेश राज्य माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष हैं। छत्रपाल सिंह गंगवार बरेली के बहेड़ी, पल्टू राम बलरामपुर, डा.संगीता बलवंत गाजीपुर सदर, संजीव कुमार सोनभद्र के ओबरा और दिनेश खटीक मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

25 माह बाद हुआ विस्तार

योगी आदित्यनाथ सरकार का गठन 19 मार्च 2017 को हुआ था। पहला मंत्रिमंडल विस्तार 21 अगस्त 2019 को हुआ था। पहले विस्तार के बाद मंत्रिमंडल में मंत्रियों की कुल संख्या 56 थी। मंत्रिमंडल के पहले विस्तार के बाद कोरोना संक्रमण से बीते वर्ष कैबिनेट मंत्री कमल रानी वरुण व चेतन चौहान तथा इस वर्ष राज्य मंत्री विजय कश्यप का निधन हुआ था। तीन मंत्रियों के निधन के बाद मंत्रिमंडल में 53 सदस्य रह गए थे।

जातीय व क्षेत्रीय समीकरण का ख्याल

योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये जातीय व क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश की गई है। योगी सरकार में शामिल नए चेहरों में तीन अन्य पिछड़ा वर्ग, दो अनुसूचित जाति व एक अनुसूचित जनजाति से हैं जबकि एक ब्राह्मण हैं। इन सात नए मंत्रियों में से तीन पूर्वांचल, दो पश्चिमी उप्र तथा एक-एक तराई क्षेत्र व रूहेलखंड के हैं।

पितृपक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार से भी संदेश

समाज में तमाम लोगों की धारणा रहती है कि पितृपक्ष में कोई नया या शुभ कार्य न किया जाए। इसी कारण अब तक माना जा रहा था कि खास तौर पर मुहूर्त-पर्व आदि पर भरोसा रखने वाली भारतीय जनता पार्टी इन दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं करेगी। सभी को तो उम्मीद थी कि विस्तार होगा तो पितृपक्ष के बाद, लेकिन रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार कर भाजपा ने सभी को चौंका दिया। इसके जरिए सरकार ने समाज को भी रूढि़वादी धारणाओं के तर्पण का एक संदेश दिया है। अब यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि विधानसभा चुनाव बिल्कुल नजदीक हैं।


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