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Vat Savitri Puja 2020: आस्था व पति के प्रेम के आगे कोरोना का डर फूर, सुहागिनों ने की वृक्ष की पूजा-परिक्रमा

Vat Savitri Puja 2020 मान्यता है कि व्रत रखने से सुहागिनों की हर मनोकामना पूरी होती हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 09:46 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 03:01 PM (IST)
Vat Savitri Puja 2020: आस्था व पति के प्रेम के आगे कोरोना का डर फूर, सुहागिनों ने की वृक्ष की पूजा-परिक्रमा
Vat Savitri Puja 2020: आस्था व पति के प्रेम के आगे कोरोना का डर फूर, सुहागिनों ने की वृक्ष की पूजा-परिक्रमा

लखनऊ, जेएनएन। Vat Savitri Puja 2020: कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लॉकडाउन अपने चौथे में पहुंचा चुका है। वहीं, शुक्रवार को सुहागिनों के महापर्व वट सावित्री पूजा पर महिलाओं ने शारीरिक दूरी के नियम का पालन किया। शहरी क्षेत्रों में अधिकांश महिलाओं ने घरों में बरगद की डाल का पूजन किया। वहीं, कुछ के घर के पास ही वट (बरगद का पेड़) होने पर परिक्रमा की। इस दौरान महिलाओं के मन से कोरोना का डर फूर दिखाई दिया। पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति की कामना की। ऐसा ही कुछ नजारा राजधानी से सटे लखीमपुर व हरदोई जिले में भी दिखाई दिया। 

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उधर, गोंडा के मालवीय नगर स्थित जन शिक्षण संस्थान के परिसर में शारीरिक दूरी बनाकर सुहागनियों ने पूजन किया। 

 

इसलिए रखते हैं वट सावित्री व्रत

लोक मान्यता और पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन सावित्री ने पति सत्यवान के जीवन को वापस लाया था। इसके लिए उन्होंने वट वृक्ष के नीचे बैठकर व्रत रखकर पूजन किया था। वृक्ष के नीचे पति को गोद में लेकर बैठी सावित्री ने जब देखा कि यमराज पति के जीवन को लेकर दक्षिण दिशा की ओर जा रहे हैं तो सावित्री ने यमराज का पीछा किया। पति के जीवन को वापस लाने में कामयाब रहीं। उस दिन अमावस्या थी। इस दिन व्रत रखने से सुहागिनों की हर मनोकामना पूरी होती हैं।

बरगद काटना पुत्र हत्या के समान

संतान के लिए इच्छित लोग इसकी पूजा करते हैं। इस कारण से बरगद काटा नहीं जाता है। धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्घि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है। वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व के बोध को भी दर्शाता है।

 

आयुर्वेद में दैवीय उपहार माना गया है बरगद

मान्यता है कि वट (बरगद का पेड़) की जड़ ब्रह्मा, छाल विष्णु और शाखा शिव है। लक्ष्मी जी भी इस वृक्ष पर आती हैं। अपने आप में आस्था का असीम संसार समेटे यह वृक्ष वृहद औषधीय गुणों वाला भी है। आयुर्वेद में इसे दैवीय उपहार के रूप में माना गया है। इसकी जड़, पत्ता, छाल और रस सभी गुणकारी है। कमर, जोड़ों के दर्द, मधुमेह और मुंह संबंधी तमाम रोगों में रामबाण औषधि है। बरगद की जड़ें मिट्टी को पकड़कर रखती हैं। पत्तियां हवा को शुद्ध करती हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है, जो कफ और पित्त की समस्या को दूर करती है। वट सावित्री व्रत पर आज सुहागिनें बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करेंगी। इस मौके पर वट के औषधीय महत्व पर नजर डालते हैं, ताकि सिर्फ एक दिन नहीं हम हर दिन वट वृक्ष के करीब रहें।  


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