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विश्व विख्यात धर्म गुरु मौलाना डॉ.कल्बे सादिक हुए सि‍पुर्द-ए-खाक, शिया-सुन्नी ने नमाज-ए-जनाजा पढ़कर दिया एकता संदेश

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व विश्व विख्यात वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ.कल्बे सादिक बुधवार को सुर्पद-ए-खाक हुए। यूनिटी कॉलेज में नमाज-ए-जनाज़ा के साथ दोपहर बाद उनका पार्थिव शरीर इमामबाड़ा गुफरानमाब में दफनाया गया।

By Rafiya NazEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:55 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:55 PM (IST)
विश्व विख्यात धर्म गुरु मौलाना डॉ.कल्बे सादिक हुए सि‍पुर्द-ए-खाक, शिया-सुन्नी ने नमाज-ए-जनाजा पढ़कर दिया एकता संदेश
विश्व विख्यात धर्म गुरु मौलाना डॉ.कल्बे सादिक इमामबाड़ा गुफरानमाब में हुए सिपुर्द-ए-खाक।

लखनऊ, जेएनएन। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व विश्व विख्यात वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ.कल्बे सादिक बुधवार को सुर्पद-ए-खाक हुए। यूनिटी कॉलेज में नमाज-ए-जनाज़ा के साथ दोपहर बाद उनका पार्थिव शरीर इमामबाड़ा गुफरानमाब में दफनाया गया। ईरान कल्चर हाउस के मौलाना महदी महदवीपुर ने नमाज-ए-जनाजा पढ़ाई और सभी धर्मों के धर्म गुरुओं ने हिस्सा लिया। घंटाघर के सामने टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना फजले मन्नान ने नमाज अदा कराकर 1986 के बाद एक बार फिर शिया-सुन्नी एकता की मिशाल पेश की। उस समय मौलाना डा.कल्बे सादिक के भाई मौलाना कल्बे आबिद के अंतकाल पर शिया सुन्नी दोनों के मौलानाओं नमाज पढ़ी थी। इसके बाद दूसरी बार ऐसा हुआ।

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जनाजे में उमड़ा जन सैलाब

उनके प्रति लोगों में लगाव को दिखा रहा था। चौक के यूनिटी कॉलेज में रखे पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही गणमान्य लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने पुष्प अर्पित कर सादगी पसंद मौलाना बताया और उन्होंने उनके बेटों कल्बे हुसैन, कल्बे सब्तैन व कल्बे मुंतजिर को ढांढस बंधाया। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने दर्शन कर इंसानियत के मसीहा की संज्ञा दी। पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, पू्र्व एमएलसी सिराज मेहदी, पूर्व मंत्री बुक्कल नवाब, स्वामी सारंग, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना शमीमुल हसन व सेव वक्फ के रिजवान मुस्तफा समेत कई धर्मगुरुओं और गणमान्य लोगों ने दर्शन् किए। 

सादगी पसंद मौलाना की एक झलक पाने की बेकरारी उनके चाहने वालों में देखते ही बन रही थी। नम आंखों और गम के माहौल में हर ओर सिर्फ मौलाना की इंसानियत को लेकर चर्चा की जा रही थी। कॉलेज में ही नमाज़-ए- जनाज़ा के साथ दोपहर बाद उनका पार्थिव शरीर करीब चार घंटे में इमामबाड़ा गुफरानमाब पहुंचा। जहां ईरान कल्चर हाउस के मौलाना महदी महदवीपुर व शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को खिताब किया। सभी धर्मों के धर्म गुरुओं की दुआओं के साथ उनके पार्थिव शरीर को दफनाया गया। गमगीन माहौल में यूनिटी कॉलेज से चौक के इमामबाड़ा गुफरानमाब में आए पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए सड़क के किनारे लोगों का हुजूम लगा था। दुकानें बंद कर लोग उनके अंतिम दर्शन करना चाहते थे। जनाजे में महिलाएं व बच्चे भी शामिल हुए। 

शरीरिक दूरी भूल गए चाहने वाले

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए बनाए गए नियम भी मौलाना के चाहने वालों के सामने धरे रहे गए। उनके अंतिम दर्शन के लिए सड़क के किनारे से लेकर इमामबाड़ा गुफरानमाब में तिल रखने की जगह नहीं बची। कंधा देने वालों की कतार भी लगी रही। हर कोई मौलाना को अपने कंधे पर रखसकर विदाई करना चाहता था। यूनिटी कॉलेज से करीब डेढ़ किमी दूरी तक इंसानों की कतार लगी रही। छोटा इमामबाड़े में कुछ देर के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा रहा। घंटाघर के सामने कोनेश्वर मंदिर, चरक चौराहा होता हुए पार्थिव शरीर इमामबाड़ा गुफरानमाब लाया गया। जाम से बचने के लिए डायवर्जन कर दिया गया था।


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