विलय के विरोध में उतरेंगे बैंककर्मी, कहा-ग्राहकों का भी होगा नुकसान lucknow news
विलय को लेकर विभिन्न बैंकिंग संगठनों के पदाधिकारियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं हैं।
लखनऊ, जेएनएन। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को 27 बैंकों के विलय की घोषणा के साथ ही बैंकिंग इंडस्ट्री में बड़े परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाया है। विलय के साथ ही अब देश में कुल 12 राष्ट्रीयकृत बैंक होंगे। हालांकि बैंकों के विलय पर विभिन्न बैंक संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए विरोध किया है। विलय को लेकर विभिन्न बैंकिंग संगठनों के पदाधिकारियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं हैं।
हम विलय का कड़ा विरोध करते हैं। इसके चलते शनिवार को यूनियन बैंक हजरतगंज के सामने विरोध प्रदर्शन के लिए बैंक संगठन एकजुट होंगे। विलय से न सिर्फ बैंक कर्मचारियों का, बल्कि आम ग्राहक का भी नुकसान है। -वाइके आरोड़ा, प्रदेश संयोजक, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूफबीयू)
सरकार ने बैंकों को मर्ज करने की घोषणा करके जनविरोधी काम किया है। बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय से अभी बैंक कर्मी उबरे नहीं हैं। विलय से स्वाभाविक है कि शाखाएं बंद होंगी और सुविधाएं कम होंगी। - पवन कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, ऑल इंडिया बैंक ऑफीसर्स एसोसिएशन (एआइबीओसी)
सरकार का यह गलत निर्णय है। इससे किसी तरह का कोई लाभ नहीं होगा। बैंक शाखाएं कम की जाएंगी और कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। - दिलीप चौहान, प्रदेश महामंत्री, ऑल इंडिया बैंक ऑफीसर्स एसोसिएशन (एआइबीओसी)
सरकार का अप्रतिगामी कदम है। तीन बैंकों के विलय के पांच माह बाद भी एक बैंक के ग्राहकों को दूसरे बैंक की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। विलय के कारण अब और दस बैंकों में ऐसे ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बैंकों में अधिकारियों व कर्मचारियों की पहले से ही कमी है। उपलब्ध स्टाफ अपने खातों को विलय करने में व्यस्त हो जाएगा, जिसमें लंबा वक्त लगेगा। इस बीच में बैंक ग्राहकों को ऋण भी मुहैया नहीं होगा। ऐसे में अर्थव्यवस्था और खराब स्थिति में जाना तय है। - केके सिंह, महामंत्री, एसबीआइ कर्मचारी एसोसिएशन