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विश्व स्वास्थ्य दिवस: ईमानदार प्रयास से पूरा होगा 'हेल्थ फॉर ऑल' का सपना, सेहत की जंग-जीत जाएंगे हम

स्थान-समय सीमा से मुक्त होकर काम कर रहे चिकित्सक।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Apr 2018 12:47 PM (IST)Updated: Sat, 07 Apr 2018 12:51 PM (IST)
विश्व स्वास्थ्य दिवस: ईमानदार प्रयास से पूरा होगा 'हेल्थ फॉर ऑल' का सपना, सेहत की जंग-जीत जाएंगे हम

लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। जो उखड़ती सासों को सामान्य कर दे। दर्द से कराहती आवाजों को शात कर दे। मानसिक द्वंद्वों को विराम दे। कुदरती अंगों के बिना भी जीवन को नए आयाम दे। ऐसी जिंदगियों के लिए ईश्वर का रूप है डॉक्टर। 07 अप्रैल यानी आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है। वर्ष 2018 की थीम यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (सब जगह-सबके लिए स्वास्थ्य) है। दैनिक जागरण विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर आपको कुछ ऐसे डॉक्टरों के बारे में बता रहा है, जो इस थीम पर पहले से काम कर रहे हैं। इनके लिए ओपीडी का मतलब सिर्फ कुछ घटों का समय नहीं है। न ही चैंबर का अर्थ निजी कक्ष है। कार्यक्षेत्र सिर्फ अस्पताल तक सीमित नहीं है। यही समर्पण हो तो यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज का सपना जरूर पूरा होगा। विश्वास भी जगेगा कि सेहत की जंग, जीत जाएंगे हम.। हड्डियों के लिए लें सुबह की धूप

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मूल निवासी फैजाबाद डॉ. अभिषेक अग्रवाल वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफेसर इन डिपार्टमेंट ऑफ ऑथरेपेडिक्स में तैनात हैं। इन्होंने मेडिकल कॅरियर की शुरूआत एमबीबीएस, एमएस ऑथरेपेडिक्स (गोल्ड मेडिलिस्ट), केजीएमयू से की। जून 2013-मार्च 2015 तक सीनियर रेजिडेंट रहे। मार्च 2015-जून 2016 तक लेक्चरर रहे। वकील पिता के डॉ. पुत्र की ओपीडी तब तक चलती है, जब तक सारे मरीजों को वह खुद न देख लें। डॉ. अभिषेक अग्रवाल कहते हैं, मैं हमेशा बेहतर जूनियर्स की टीम तैयार करने में यकीन रखता हूं। वरिष्ठ आदर्श प्रस्तुत करें तो कनिष्ठ अनुसरण जरूर करेंगे। बताते हैं, वर्ष 2013 में केदारनाथ-ब्रदीनाथ में बाढ़ से त्रसदी के लिए बनाई गई रेस्क्यू टीम का भी हिस्सा रहे। वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप के समय भी वहा जाकर सेवा का मौका मिला। साथ ही कई अन्य स्वास्थ्य और दिव्यागता राहत शिविरों का भी हिस्सा रह चुके हैं। इलाज से बचाव अच्छा है

हेल्मेट और सीट बेल्ट आदि का प्रयोग कर दुर्घटनाओं में होने वाली जीवन हानि दर को हम थोड़ा कम कर सकते हैं। डॉक्टर के सुझाव का अनुसरण करें। व्यायाम करें, स्वस्थ रहें

व्यायाम हमारी मासपेशियों को चुस्त दुरुस्त रखता है। शरीर में खून के बहाव को भी बेहतर बनाता है। लगातार व्यायाम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी बढ़ती है। सुबह की धूप भी हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। सुधार की उम्मीद

ग्रामीण क्षेत्रों तक ट्रामा मैनेजमेंट की दिशा में बहुत कुछ करना बाकी है। हेल्थ बजट को भी और बढ़ाया जाना चाहिए।

सकारात्मक रहिए, स्वस्थ रहेंगे

मूल निवासी सहारनपुर डॉ. अनिल कुमार गुप्ता वर्तमान में एमएस आरएएलसी कैंपस, एसो. प्रोफेसर एंड हेड डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन, केजीएमयू में तैनात हैं। मेडिकल कॅरियर की शुरूआत एमबीबीएस (गोल्ड मेडल), कटक से की। एमडी (पीएमआर), एम्स दिल्ल्ी। वर्ष 2006-09 तक एम्स में सीनियर रेजिडेंट। जुलाई 2010 में केजीएमयू ज्वाइन किया। डॉ. अनिल कुमार गुप्ता अक्सर चैंबर में मरीजों से मुखातिब होते मिल जाते हैं। बताते हैं, वकील परिवार में पहले डॉक्टर रहे। एमबीबीएस के दौरान दिल्ली, आगरा और मथुरा में दिव्यागजन की सेवा के लिए कई कैंप किए। छात्र जीवन से ही मरीजों से सीधा संवाद का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी कायम है। इलाज के साथ मरीजों को सकारात्मक रहने की सलाह जरूर देता हूं। बताते हैं, कंधा जाम में जल्दी आराम के लिए बोटीस इंजेक्शन एवं स्पाइनल कार्ट इंजरी के मरीजों को पुनर्वास दिया। सेहत का मंत्र: प्रतिदिन 11 से 12 घटे का काम होता है। ऐसे में सुबह और शाम की सैर फिट रहने का मूलमंत्र है। साइकिलिंग जरूर करें: साइकिलिंग एक तरीके की लोअर बॉडी और कार्डियो एक्सरसाइज है। 15 सेकेंड के लिए एक पैर पर बैलेंस बनाए रखने से भी स्थिरता और एकाग्रता बढ़ती है। पानी खूब पिएं। सुधार की उम्मीद: टीचिंग एंड ट्रेनिंग चिकित्सकीय शिक्षा की रीढ़ है, इसे मजबूत किया जाना चाहिए। पीजी और विशेषज्ञता हासिल करने के बाद बेस्ट टैलेंट को उचित स्थान मिले।

स्वच्छता अपनाएं, स्वस्थ रहें

मूल निवासी जिला बादा डॉ.अरविंद निगम वर्तमान में इंचार्ज, प्रोस्थेटिक एंड ऑथरेटिक साइंसेज, डिपार्टमेंट ऑफ पीएमआर, केजीएमयू तैनात हैं। मेडिकल कॅरियर की शुरूआत ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन से हुई। फिर मुंबई से बैचलर इन प्रोस्थेटिक्स एंड ऑथरेटिक्स के बाद केजीएमयू से जुड़े रहे। इस दौरान वर्ष 2002 में नेपाल में भी काम करने का मौका मिला। अरविंद निगम बताते हैं, पिता स्व. रतन बिहारी निगम एमए, एलएलबी के साथ मेडिकल स्टोर संचालक और किसान थे। हमेशा सोचता था, ईश्वर ने सबको एक समान बनाया है पर कभी-कभी दुर्घटनाएं शारीरिक अंगों को छीन लेती हैं या कमजोर कर देती हैं। ऐसे लोगों की सहायता से बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता। बताते हैं, बहराइच निवासी 18 वर्षीय युवक का थ्रेसर से हाथ कट गया था। वह निर्धन था। तब मैंने, डॉक्टरों और अन्य समाजसेवी लोगों ने पैसे दिए और उसे नया कृत्रिम हाथ लगाया जा सका। अब तक लिंब सेंटर में ऐसे 100 से अधिक हाथ लगाए जा चुके हैं। सस्ते नी ब्रेस और ह्यूरल फ्रैक्चर बेस मोड लो टम्प्रेचर थर्मो प्लास्टिक तकनीक पर काम किया। काम पर सम्मान: वर्ष 2009 में शारीरिक विकृतियों को दूर करने के लिए तैयार किए हल्के यंत्रों की दिशा में किए गए प्रयोग पर राज्यपाल द्वारा सम्मान मिला। वर्ष 2018 में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। ध्यान और संतुलित आहार जरूरी: ध्यान, गायत्री मंत्र का पाठ, योग, संतुलित आहार, सुबह और शाम की सैर स्वस्थ रखती है। सुधार की उम्मीद: संस्थागत और समाज आधारित पुनर्वास को और बेहतर किया जाए। स्वच्छता अपनाएं, स्वस्थ रहें

मूल निवासी गोरखपुर डॉ. पूरन चंद वर्तमान में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद पर प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग, केजीएमयू में तैनात हैं। मेडिकल कॅरियर में 25 वर्षो की चिकित्सकीय सेवा, शिक्षण, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान कार्य किया है। डॉ पूरन चंद बताते हैं, प्रथम नियुक्ति लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होकर संतकबीर नगर रही। उसके बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में काम किया। अलग-अलग जगह तैनातियों ने हर जगह की स्वास्थ्य संबंधी मूल समस्याओं को समझने में मदद की। ग्रामीण अंचल आज भी छोटी-छोटी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए तरस रहे हैं। उनमें जागरूकता का अभाव है। बस इसी सोच ने ग्रामीण क्षेत्रों में फोकस करने की सीख दी। ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्वास्थ्य और परीक्षण शिविर किए। विभाग में कैंसर पीड़ितों के नि:शुल्क इलाज की दिशा में भी काम किया। सामाजिक एवं चिकित्सकीय सेवा के लिए राज्यपाल द्वारा विशिष्ट सेवा सम्मान से भी नवाजा गया। स्वच्छता अपनाएं, सेहतमंद रहें: स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र स्वच्छता है। व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ आस-पास भी साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए। फास्टफूड से दूर रहें। फलों और सब्जियों को आहार का हिस्सा बनाएं। सुधार की उम्मीद: स्वस्थ जीवनशैली के लिए विद्यालयों और समूहों में प्रशिक्षण देना चाहिए। पौधरोपण के लिए और जागरूक करें।


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