मुसलमान क्यों कहे 'भारत माता की जय' : खालिद रशीद फरंगी
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि किसी विशेष समुदाय के कुछ लोगों की जिद पूरी करने के लिए मुसलमान 'भारत माता की जय क्यों कहे। इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है।
लखनऊ। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि किसी विशेष समुदाय के कुछ लोगों की जिद पूरी करने के लिए मुसलमान 'भारत माता की जय' क्यों कहे। इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है। हिंदुस्तान की प्रतिमा बनाकर भारत माता कहना न तो देश के संविधान में है और न ही कानून में। फिर यह नारा लगाना क्यों जरूरी है। उन्होंने दारुल उलूम देवबंद से आए फतवे का समर्थन तो किया लेकिन इस्लामिक तंजीमों से जरूरी मुद्दों पर ही फतवा देने की नसीहत भी दी।
बताते चलें कि कुछ दिन पहले दारुल उलूम देवबंद ने भारत मातम की जय के नारे लगाने के खिलाफ फतवा दिया था। फतवे में कहा गया था कि देश का मुसलमान अपने मुल्क से मुहब्बत करता है, लेकिन मुसलमान वहदानियत (एक खुदा) पर यकीन रखता है।
इसलिए सिवाय उस एक खुदा के किसी की भी इबादत नहीं कर सकता। मूर्ति पूजा इस्लाम में हराम है। इसलिए देश का मुसलमान देश को एक मूर्ति मानकर भारत माता की जय के नारे नहीं लाएगा। इसी फतवे के जवाब में मौलाना खालिद रशीद ने दैनिक जागरण से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि हर बात पर फतवा देना जरूरी नहीं है। फतवे की एक अहमियत है, जिस पर समुदाय के लोग पूरे यकीन से अमल करते हैं। इस्लामिक तंजीम यह समझकर फतवा दे, कि वह किस मकसद के लिए मांगा गया था। कुछ फिरकापरस्त ताकतें दो समुदाय को आपस में लड़वाने के लिए इस तरह के फतवे मांगती हैं, जिनसे बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश का मुसलमान हिंदुस्तान जिंदाबाद और जय हिंद के नारे लगाता है। क्या अब भी मुसलमानों को देशभक्त होने का सबूत देने की जरूरत है। नारा लगाने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन किसी की जिद पूरी करने के लिए कोई काम नहीं करेंगे।