WHO warns: सिर्फ कोविड-19 पर ध्यान दिया तो मलेरिया बढ़ाएगा मौत का खतरा
डब्ल्यूएचओ ने किया अफ्रीका समेत अन्य देशों को आगाह। मलेरिया के रोकथाम खोज व इलाज में तेजी लाने के निर्देश। उन्मूलन कार्यक्रमों को नजरअंदाज करने पर जाहिर की चिंता।
लखनऊ, (धर्मेन्द्र मिश्रा)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 के दौर में मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रमों को नजरअंदाज किए जाने पर चिंता जाहिर की है। साथ ही सभी देशों को आगाह किया है कि इसकी रोकथाम नहीं की गई तो कोरोना संक्रमण के साथ-साथ मलेरिया से भी अधिक मौतें होंगी। इसकी एक वजह यह भी है कि मलेरिया के इलाज वाली दवाएं कोरोना मरीजों को भी कई देशों में दी जा रही हैं लेकिन, मलेरिया को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में मलेरिया फैला तो कोरोना का खतरा और बढ़ सकता है।
ज्यादातर देशों में अभी तक हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन को कोरोना के इलाज में कारगर माना जा रहा है। दोनों बीमारियों के मरीजों की संख्या एक साथ बढऩे से ऐसी दवाओं की भारी कमी हो सकती है। तब मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है। इसी के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ ने सर्वाधिक मलेरिया ग्रस्त अफ्रीकी देशों समेत दुनिया के अन्य देशों को इसकी रोकथाम, खोज व इलाज में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी का कहना है कि मलेरिया और कोरोना के इलाज व रोकथाम में लगभग वही दवाएं इस्तेमाल हो रही हैैं।
मलेरिया पीडि़त पर हो सकता है डबल अटैक
लोहिया संस्थान के एमएस डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया हुआ है और इस दौरान उसे कोरोना भी हो जाता है तो यह डबल अटैक की तरह है। ऐसे में रोगी को स्वस्थ होने में ज्यादा समय लगेगा, क्योंकि ये दोनों रोग हीमोग्लोबिन की शरीर में कमी कर देते हैैं। ऐसे में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) घटने से एंटीबॉडी बनने में देरी हो सकती है।
कोरोना काल में 25 हजार मलेरिया केस ने बढ़ाई चिंता
अफ्रीकी महाद्वीप में दुनिया के करीब 90 फीसद मलेरिया रोगी पाए जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कोरोना संक्रमण काल में 30 अप्रैल तक अफ्रीकी महाद्वीप के 45 देशों में 25 हजार मलेरिया केस रिपोर्ट किए गए हैं। ऐसे में मलेरिया की रोकथाम करना जरूरी हो गया है।