गऊघाट पर सबसे अधिक प्रदूषित हुई गोमती
-बैराज के मुकाबले गऊघाट पर कम हुई डीओ -पानी पीने लायक बनाने के लिए तीन गुना मिलाया जा रहा
जागरण संवाददाता, लखनऊ :
गऊघाट पर गोमती सबसे अधिक प्रदूषित हो गई है। यहां गुरुवार को घुलित आक्सीजन (डीओ) घटकर एक मिग्रा. प्रति लीटर रह गई। वहीं बैराज पर डीओ 2.8 मिग्रा. के स्तर में मिली। यह पहली बार है जबकि गऊघाट इंटेक जहां से शहर की एक तिहाई आबादी को जलापूर्ति की जाती है डीओ का स्तर डाउनस्ट्रीम यानी बैराज से भी कम मिला है। आमतौर पर गऊघाट पर गोमती का पानी साफ रहता है क्योंकि शहर के तमाम नाले इसके बाद गोमती में मिलते हैं। प्रदूषण के चलते जलकल विभाग को जलापूर्ति के लिए तीन गुना अधिक केमिकल मिलाना पड़ रहा है फिर भी लोगों की शिकायत है कि पानी बहुत गंदा आ रहा है।
बीते कई दिनों से अपस्ट्रीम पर गोमती का जल स्तर काफी कम बना हुआ है। जल स्तर 346.3 फिट पहुंच चुका है। लगातार जलस्तर गिरने से जलापूर्ति पर संकट छा गया है। इससे निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने बैराज के गेट बंद कर रखे हैं। वहीं दूसरी ओर कुकरैल नाले से शारदा सहायक का पानी बैराज पर गिर रहा है। गेट बंद होने की वजह से प्रवाह रुका हुआ है। इससे गंदा पानी आगे नहीं बह पा रहा है। नतीजा यह है कि गोमती एक गंदे तालाब के समान हो गई है। इसका सीधा असर गऊघाट पर पड़ रहा है। यहां पानी कम और प्रदूषण ज्यादा हो गया है। जिससे डीओ छह-सात मिग्रा. के स्तर से घटकर मात्र एक मिग्रा. रह गई है।
अभी नहीं पहुंचा शारदा का पानी
सिंचाई विभाग द्वारा बीते सोमवार से शारदा की खीरी ब्रांच से 100 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। लेकिन यह पानी गुरुवार शाम तक लखनऊ नहीं पहंच सका था।
बढ़ा दी गई है केमिकल की मात्रा जलकल विभाग के अधिकारी स्वीकारते हैं कि नदी का पानी इन दिनों बेहद प्रदूषित है। पानी को पीने लायक बनाने के लिए जलकल विभाग को तीन गुना अधिक फिटकरी व क्लोरीन मिलाना पड़ रही है।
गंदे पानी से लोग परेशान
राजेंद्र नगर निवासी रेनू चंद्रा बताती हैं कि पानी में मिट्टी तो आ ही रही है साथ में चिकनाई व झाग भी है। उधर कुंडरी रकाबगंज, खजुआ, संतोषी माता मंदिर व खटिकाना में भी लोग गंदे पानी की आपूर्ति से परेशान हैं। लोगों का कहना है कि पानी पीला है और उसमें दुर्गध भी बहुत है।