CoronaVirus: कोरोना का वार बेकार करेगी विटामिन-डी की ‘दीवार’
CoronaVirus कोरोना से मृत्यु में विटामिन-डी की कमी भी प्रमुख कारण इसकी कमी से कोशिका को भेदकर खतरनाक बन रहा कोरोना
लखनऊ [संदीप पांडेय]। CoronaVirus: दुनिया में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों का प्रमुख कारण विटामिन-डी की कमी के रूप में भी सामने आया है। यह रिपोर्ट हमें भी सतर्क कर रही है, क्योंकि देश में भी बड़ी आबादी विटामिन-डी की कमी से जूझ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर में विटामिन-डी की स्थिति बेहतर करके हम कोरोना वायरस के खतरे को कम कर सकते हैं।
लंदन के डॉ. ब्राउन और डॉ. सरकार ने कई देशों के अस्पतालों में 12 फरवरी से 16 मार्च तक भर्ती हुए मरीजों पर अध्ययन किया। इसमें आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों की जांच रिपोर्ट का बारीकी से जांचा गया। वायरस से मृत्यु का शिकार हुए मरीजों में विटामिन-डी की कमी मौत का प्रमुख कारण मिली। अमेरिका, यूरोप, ईरान में आइसीयू में हुई मौतों में 80 फीसद मरीज 65 वर्ष से अधिक आयु के थे। वहीं इनमें 16 से 54.5 फीसद मृतकों में विटामिन डी की मात्र न्यूनतम से भी कम मिली है। अंतरराष्ट्रीय जर्नल में यह शोध 24 मार्च को प्रकाशित हो चुका है। इन देशों के आधार पर विटामिन-डी (25 हाइड्रोक्सी-डी) का शरीर में मानक 25 नैनो मोल प्रति लीटर मानकर यह स्टडी की गई।
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के ब्लड ट्रांस फ्यूजन मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक, हड्डी-मांस पेशियों में दर्द विटामिन-डी की कमी का लक्षणभर है। विटामिन-डी का शरीर में मल्टीपल रोल है। यह फेफड़े का फंक्शन दुरुस्त रखने में मददगार है, जो कि संRमण से भी बचाने में कारगर साबित होता है।
डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक, शरीर की कोशिकाओं में रिसेप्टर की बांडिंग होती है। विटामिन-डी इस बांडिंग को मजबूती प्रदान करता है। लंदन में हुई स्टडी में पाया गया कि विटामिन-डी की कमी से सेल्स में मौजूद रिसेप्टर साइक्लिक एएमपी, ऑक्ट 3/4, पी 53 की बांडिंग में कमजोरी आ जाती है। यहीं मौका पाकर वायरस सेल में दाखिल हो जाता है। इसके बाद फेफड़े तक पैठ बनाकर शरीर पर हमला करता है। ऐसे में यदि विटामिन-डी शरीर में ठीक है, तो वायरस से मुकाबला आसान हो जाएगा।
देश की 45 फीसद आबादी में विटामिन डी की कमी
डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक, देश में शरीर में विटामिन-डी की सामान्य वैल्यू 50-70 नैनो मोल प्रति लीटर निर्धारित की गई है, इसकी मात्र 50 से कम होने पर इसे डिफीसिएंसी माना जाता है। देश की विभिन्न स्टडी में 30 से 45 फीसद आबादी में विटामिन-डी की कमी बताई गई है। ऐसे में लोगों को प्रतिरोधक क्षमता मेनटेन करने के लिए विटामिन-डी की कमी को पूरा करना होगा।
विटामिन-डी की कमी दूर करने के उपाय
- धूप विटामिन-डी का प्राकृतिक स्नोत है। सुबह 11 बजे तक इसकी मात्र प्रचुर रहती है। रोज धूप में 30 मिनट बैठें, मगर जिन व्यक्तियों में पहले से विटामिन कम है, उनमें इस प्रRिया से पूर्ति होने में देर लगेगी।
- विटामिन-डी का इंजेक्शन, सीरप बेहतर उपाय हैं। 18 से 80 वर्ष तक की आयु के लोगों के लिए पहले 12 सप्ताह का कोर्स चलता है। इसमें सप्ताह में एक बार इंजेक्शन, सीरप की डोज दी जाती है। इसके बाद दोबारा टेस्ट कर कोर्स तय किया जाता है।
- विटामिन-डी की टैबलेट और पाउडर का भी विकल्प है। यह यूनिट के अनुसार डॉक्टर के परामर्श पर लें। इसका कोर्स लंबा हो जाता है।
विटामिन डी व कोरोना का संबंध साबित
विटामिन-डी की कमी से जूझ रही है। लंदन के डॉ. ब्राउन और डॉ. सरकार ने कई देशों के अस्पतालों में अध्ययन किया। आइये जानते हैं उनके अध्ययन के बारे में।
12 फरवरी से 15 मार्च तक कहां-क्या रहा प्रभाव
- लंदन :- अस्पताल में 3,983 पॉजिटिव मरीज भर्ती हुए। इसमें 177 की मौतें हुईं। स्टडी में पाया कि मृतकों में 16 फीसद में विटामिन-डी का स्तर न्यूनतम से कम पाया गया।
- इटली :- अस्पताल में 47 हजार 221 पॉजिटिव भर्ती किए गए। इसमें चार हजार 32 लोगों की मौत हुई। यहां 54.5 फीसद में विटामिन-डी की मात्र न्यूनतम मानक से कम पाई गई।
- स्पेन :- अस्पताल में 21 हजार 5 71 मरीज भर्ती किए गए। 1093 की मौत हुई। यहां मृतकों में 47 फीसद में विटामिन-डी की मात्र न्यूनतम मानक से कम पाई गई।
- ईरान :- अस्पताल में 19 हजार 664 मरीज भर्ती किए गए। यहां 1433 मरीजों की मौत हुई, जिसमें 31 फीसद में विटामिन-डी की मात्र न्यूनतम मानक से कम मिली।
- यूएस-चीन :- इन देशों ने मरीजों की रिपोर्ट में विटामिन-डी डिफीसिएंसी मिली है। मगर, न्यूनतम मानक अंकित न होने से यह साफ न हो सका कि कितने फीसद मरीजों की मौत इसके चलते हुए। हालांकि, आइसीयू में 65 उम्र से अधिक के मरीजों की 80 फीसद मौतें हुई।