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Tantra Ke Gan: दुधमुंहों की जिंदगी बन गए थे लखीमपुर के विनीत, चार माह अनवरत की सेवा

कोरोना काल में समाज की सेवा करते-करते विनीत खुद भी चपेट में आ गए। वह क्वारंटाइन सेंटरों के अलावा रेलवे स्टेशन बस स्टेशन एलआरपी चौरहा हर जगह जाते थे और लोगों को जलपान कराकर वापस लौटते थे। 13 मई की घटना को याद कर विनीत आज भी सिहर उठते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 04:12 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 04:12 PM (IST)
Tantra Ke Gan: दुधमुंहों की जिंदगी बन गए थे लखीमपुर के विनीत, चार माह अनवरत की सेवा
11मई से हर दिन 125 पैकेट गाय का दूध बांटते थे विनीत।

लखीमपुर, (धर्मेश शुक्ला)। अगर कोरोना काल को इतिहास में लंबे समय तक याद किया जाएगा तो उस दौरान लखीमपुर शहर के युवा व्यापारी विनीत गुप्ता का योगदान भी आसानी से भुलाया नहीं जा सकेगा। मार्च 2020 में जब से क्वारंटाइन सेंटर बने, तब से विनीत ने मानव सेवा का बीड़ा उठा लिया। विनीत की सेवा लोगों से हटकर थी। वह क्वारंटाइन सेंटर में हर दिन आने वाले पांच साल तक के दुधमुंहे बच्चों को गाय और बकरी का दूध सुबह-शाम बांंटने जाते थे। दिन में जो भी वक्त बचता, उसमें वह प्रवासी श्रमिकों व सेंटर में क्वारंटाइन लोगों को चाय व नाश्ता भी मुफ्त बांंटते। विनीत का ये सिलसिला चार महीने तक जारी रहा। इस दौरान वह खुद भी कोरोना की चपेट में आकर होम आइसोलेट हुए। कोरोना काल में उनकी इस सेवा पर तहसीलदार सदर उमाकांत त्रिपाठी, एसडीएम सदर डॉ. अरुण कुमार सिंह ने भी उनकी प्रशंसा की।

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10 मई की घटना ने बदल दी सोच

वह तारीख 10 मई 2020 की थी। जब विनीत शहर एक क्वारंटाइन सेंटर पर श्रमिकों को चाय पिला रहे थे, तभी प्रवासी श्रमिकों से खचाखच भरी एक बस हरियाणा से आकर रुकी। बस रुकते ही एक महिला जिसकी गोद में एक साल का दुधमुंहा बच्चा भी था विनीत के हाथ में केतली देखकर उनसे दूध के लिए गुहार लगाने लगी। वह विनीत से कहने लगी कि उसका बच्चा भूख से बिलख रहा है। दो दिन से उस महिला ने भी कुछ नहीं खाया था, लिहाजा उसके शरीर में भी एक बूंद दूध नहीं बचा है। विनीत उस महिला की बात को सुनकर अपने चाय बांटने के काम में लग गए।

विनीत बताते हैं कि करीब बीस मिनट बाद जब उनको याद आया कि महिला दूध मांग रही थी, वह बाइक से गए और दूध लेकर लेकिन तब तक वह बस श्रमिकों की स्क्रीनिंग कराकर वापस जा चुकी थी। ये घटना विनीत के दिलोदिमाग में घर कर गई और विनीत उस दिन से ही सुबह-शाम पांच साल तक के बच्चों को गाय का दूध व ग्लूकोज बिस्किट बांटने लगे। विनीत का काम चार माह तक जारी रहा।

नहीं आई नींद जब निकले दस पॉजिटिव

कोरोना काल में समाज की सेवा करते-करते विनीत खुद भी चपेट में आ गए। वह क्वारंटाइन सेंटरों के अलावा रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, एलआरपी चौरहा हर जगह जाते थे और लोगों को सूक्ष्म जलपान कराकर वापस लौटते थे। 13 मई की घटना को याद कर विनीत आज भी सिहर उठते हैं। वह कहते हैं कि उस दिन वह अपने सहयोगी आकाश के साथ सुबह जिस क्वारंटाइन सेंटर पर चाय पिलाकर आए थे, वहां शाम को आई रिपोर्ट में दस पॉजिटिव केस निकले। विनीत घबरा गए और अपनी जांच कराने के साथ ही खुद को एक सप्ताह तक होम आइसोलेट कर लिया।


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