Vikash Dubey News : यूपी पुलिस के हाथ नहीं लग रहे कई इनामी कुख्यात बदमाश भी बने चुनौती
यूपी पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बन चुके हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे से पहले भी कई इनामी कुख्यात चुनौती रहे हैं लेकिन लंबी तलाश के बाद उनको भी पकड़ा नहीं जा सका है।
लखनऊ, जेएनएन। कानपुर कांड के बाद इन दिनों पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस मोस्ट वांटेड बन चुके हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में जुटी है। चोर दिनों में पांच लाख रुपये के इनामी बदमाश बने विकास दुबे ने जो वारदात की है, उसने अपराध जगत में भी हलचल मचा दी है। पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि कुख्यातों ने बचकर भागने के प्रयास में पुलिस पर कई बार हमले किये, लेकिन इस तरह पुलिस को निशाना बनाने की हिम्मत किसी अपराधी गिरोह ने पहले नहीं जुटाई।
पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बन चुके हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे से पहले भी कई इनामी कुख्यात चुनौती रहे हैं, लेकिन लंबी तलाश के बाद उनको भी पकड़ा नहीं जा सका है। ढाई लाख के इनामी बदमाशों की सूची में शामिल बदन सिंह बद्दू और आशू जाट लंबे समय से तलाशे जा रहे हैं। बदन सिंह मार्च 2019 में पुलिस अभिरक्षा से भाग निकला था। इसके अलावा मुजफ्फरनगर का कुख्या हरीश दो लाख का इनामी बदमाश है।
सूत्रों के अनुसार गाजीपुर के अतार्ब्राहमान और शहाबुद्दीन पर सीबीआई ने दो-दो लाख का इनाम घोषित कर रखा है। चित्रकूट के गौरी यादव पर एक लाख रुपये का इनाम है, जबकि पुलिस रिकार्ड में मोनू गूजर, संजीव नाला, विश्वास नेपाली, अजीम अहमद, आफताब व रामनरेश ठाकुर समेत 15 अपराधियों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम है। पुलिस के लिए इनकी तलाश भी चुनौती रही है।
कानपुर में बिल्हौर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी पुलिस माफिया की कमर तोड़ने के प्रयास में जुट गई है। तब से कई जिलों में बड़े अपराधियों के खिलाफ पुलिस का कहर टूटा है। पुलिस और प्रशासन ने सूची बनाकर ऐसे अपराधियों पर निगाह टेढ़ी की है जिन्होंने दबंगई के बल पर आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया है। पूर्वांचल के दबंग विधायक मुख्तार अंसारी, पूर्व सांसद अतीक अहमद, अजय सिंह सिपाही समेत कई गैैंगस्टर पुलिस के निशाने पर हैं।
एसटीएफ की सूची में नहीं था विकास दुबे का नाम : कानपुर में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का नाम एसटीएफ की हिट लिस्ट में नहीं था। अपने राजनीतिक रसूख के चलते अब तक बचते आए विकास पर भले ही हत्या समेत अन्य संगीन धाराओं में करीब साठ मुकदमे दर्ज थे, लेकिन पुलिस ने उस पर कभी संजीदगी से शिकंजा कसने की कोशिश नहीं की थी। कानपुर कांड के बाद अब डीजीपी मुख्यालय स्तर से सूबे के ऐसे सभी बड़े अपराधियों का ब्योरा नए सिरे से जुटाया जा रहा है, जिन पर संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। माना जा रहा है कि कानपुर कांड जैसी किसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ऐसे अपराधियों के विरुद्ध मुहिम के तहत कार्रवाई शुरू होगी।
एसटीएफ ने दिया था 25 अपराधियों का ब्योरा : एसटीएफ दुर्दांत अपराधियों को सूचीबद्ध कर उनकी निगरानी करती है। एसटीएफ ने मार्च माह में सूचीबद्ध 25 अपराधियों का ब्योरा डीजीपी मुख्यालय को भेजा था। सूची अब सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। सूची में बाहुबली मुख्तार अंसारी, उमेश राय उर्फ गौरा राय, त्रिभुवन सिंह उर्फ पवन कुमार, अतीक अहमद, खान मुबारक, मु.सलीम, मु.सोहराब, मु.रुस्तम, ओम प्रकाश उर्फ बबलू श्रीवास्तव, बृजेश कुमार सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह, सुभाष सिंह ठाकुर, ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुन्टू सिंह, मुनीर, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, सुंदर भाटी उर्फ नेताजी, अनिल दुजाना उर्फ अनिल नागर, अनिल भाटी, सिंहराज भाटी, सुशील उर्फ मूंछ, अंकित गुर्जर, अमित कसाना, आकाश जाट, उधम सिंह, योगेश भदौड़ा व अजीत उर्फ हप्पू के नाम शामिल थे। इन सभी की वर्तमान स्थित का ब्योरा भी दिया गया था। एसटीएफ व पुलिस ने सूची में शामिल कई अपराधियों के विरुद्ध सिलसिलेवार ढंग से कड़ी कार्रवाई की है।