मिशन शीघ्र के ट्रैक पर 100 किमी. की गति से दौड़ी मालगाड़ी, छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद बदली छवि
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में पहली बार मालगाड़ी ने पकड़ी इतनी गति अब तक अधिकतम 75 किमी. प्रतिघंटा ही थी स्पीड।
लखनऊ [निशांत यादव]। कभी लाल सिगनल तो कभी ट्रेनों की क्रासिंग। इन बाधा के बीच यदि मालगाड़ी दौड़ी भी तो वह स्पीड नहीं पकड़ पाती। लेकिन छह महीने की कड़ी मेहनत ने मालगाडिय़ों की इस छवि को बदल दिया है। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में मालगाडिय़ां अब लखनऊ से वाराणसी के बीच हवा से बातें करने लगी हैं। रेलवे ने 'मिशन शीघ्रÓ चलाकर मालगाड़ी की अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे हासिल कर ली है। जो कि अब एक्सप्रेस ट्रेनों से 10 किलोमीटर प्रति घंटे ही कम रह गई है। रेलवे ने सभी इंजनों के स्पीडोमीटर की रिपोर्ट मंगवायी। जिसमें 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से मालगाड़ी दौड़ाने की पुष्टि हुई है।
दरअसल उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में सुलतानपुर, अमेठी और अयोध्या होकर वाराणसी के तीन रूट हैं। उतरेटिया से जाफराबाद तक डबल लाइन होने के बावजूद कई तकनीकी दिक्कतों के चलते मालगाड़ी की अधिकतम गति 75 किमी. प्रतिघंटा ही थी। जिस कारण उनकी औसत गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा ही रह जाती थी। अब अधिकतम गति 100 किमी. प्रतिघंटे हुई तो औसत गति भी 50 किलोमीटर प्रति घंटे पहुंच गई है। इसके लिए रेलवे को अपने ट्रैक की कमियों को दूर करना पड़ा है। एडीआरएम ऑपरेशन अमित श्रीवास्तव सहित कई अधिकारियों की टीम ने 140 किमी. के 478 प्वाइंट की थर्मिट वेल्डिंग का काम पूरा किया। सुलतानपुर होकर जाफराबाद तक ट्रैक की जांच की गई। उनके 110 पॉइंट जोन, 84 समपारों की ओवरहालिंग और 45 कर ट्रांसमेटिक रोबोटिक प्रक्रिया के तहत उनकी गड़बड़ी ठीक की गई। उनकी फिश प्लेट बदली गई।
डीआरएम लखनऊ संजय त्रिपाठी ने बताया कि लॉकडाउन में हमको ब्लॉक नहीं लेना पड़ा। कुल छह महीने पटरियों की कमियों को दूर करने का काम हुआ। जिसके बाद मिशन शीघ्र के तहत मालगाडिय़ां लखनऊ से सुलतानपुर होकर वाराणसी तक 100 किमी. प्रतिघंटे की गति से दौडऩे लगी। सभी लोको पायलटों से इंजन के स्पीडोमीटर की रिपोर्ट मंगवायी गई। जिसके बाद मिशन शीघ्र के कामयाब होने की पुष्टि की गई है। पहली बार मंडल में 100 किमी. प्रतिघंटे की गति से ट्रेन दौड़ी है।