चीन के विरुद्ध आर्थिक मोर्चाबंदी में हथियार बनेगा दवा उद्योग, यूपी के बुंदेलखंड में विकसित होगा बल्क ड्रग पार्क
दवा उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से योगी सरकार बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में 2060 एकड़ क्षेत्र में बल्क ड्रग पार्क विकसित करने की योजना को अमली जामा पहनाने जा रही है।
लखनऊ [राजीव दीक्षित]। उत्तर प्रदेश के झांसी में प्रस्तावित टॉय सिटी के बाद बुंदेलखंड की धरती से चीन को एक और चुनौती मिलने वाली है। सामरिक के साथ चीन के खिलाफ जारी आर्थिक मोर्चाबंदी में अब दवाओं को हथियार बनाने की तैयारी है। दवा उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से योगी सरकार बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में 2060 एकड़ क्षेत्र में बल्क ड्रग पार्क विकसित करने की योजना को अमली जामा पहनाने जा रही है। सरकार का अनुमान है कि चरणबद्ध तरीके से इस परियोजना में 24,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से 31,000 लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 32,050 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी।
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क में 1100 एकड़ (53 प्रतिशत) क्षेत्र सिर्फ दवा उत्पादन इकाइयों के लिए होगा जिसमें एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडियंट्स (एपीआई) इकाइयां स्थापित की जाएंगी। एपीआई से तात्पर्य दवा में इस्तेमाल किये जाने वाले उन सक्रिय अवयवों से है जो उस दवा के प्रभाव और उसके जरिये बीमारियों की रोकथाम या उनके उपचार में सीधी भूमिका निभाते हैं। पार्क के शेष क्षेत्रफल में शोध और परीक्षण केंद्र, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउस, सामान्य सुविधाएं, ड्राई पोर्ट, सड़क व परिवहन, आवासीय सुविधाएं आदि विकसित की जाएंगी।
एपीआई के लिए नहीं रहेगी चीन पर निर्भरता : देश में दवाएं बनाने के लिए जिन एपीआई की जरूरत होती है उनमें से 75 फीसद चीन से आयात किये जाते हैं। कुछ दवाओं के शत-प्रतिशत एपीआई आयात किये जाते हैं। चीन के साथ छत्तीस के आंकड़े के मद्देनजर इस परियोजना के साकार होने पर दवाओं के मामले में चीन पर निर्भरता कम होगी और उत्तर प्रदेश दवा उत्पादन का हब बन सकेगा।
बल्क ड्रग पार्क के विकास की रूपरेखा तैयार : फिलहाल बल्क ड्रग पार्क का जो खाका खींचा गया है, उसमें निवेशकों के लिए उनकी जरूरत के मुताबिक पांच, 10, 15, 20, 30 और 50 एकड़ के कुल 94 भूखंड उपलब्ध होंगे। पार्क में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर सरकार 1604 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1000 करोड़ रुपये की होगी। इस धनराशि से कूलिंग सिस्टम और वितरण का नेटवर्क, विद्युत उपकेंद्र, पानी की उपलब्धता, साल्वेंट रिकवरी और डिस्टिलेशन प्लांट, सेंट्रल एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, ठोस कचरा प्रबंधन और पीएनजी की आपूर्ति आदि की व्यवस्था की जाएगी।
परियोजना को परवान चढ़ाने में जुटी सरकार : बल्क ड्रग पार्क में लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के सिलसिले में कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और आईटी क्षेत्र में सहयोग के लिए सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) से बातचीत हो चुकी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग से नॉलेज टाई-अप के लिए बातचीत जारी है। सरकार फार्मा पॉलिसी को और निवेश अनुकूल बनाने के लिए इसमें जरूरी संशोधन भी करने पर विचार कर रही है।
दवा उद्योग के लिए उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं संभावनाएं
- 23 करोड़ की आबादी, भारत का सबसे बड़ा बाजार
- 208 मेडिकल, बायो टेक्नोलॉजी और फार्मेंसी कॉलेज
- एक दर्जन शोध संस्थान
- एक लाख से अधिक फार्मासिस्ट
- तीन दर्जन से अधिक दवा बनाने वाली कंपनियां
- 86 हजार से अधिक फुटकर दवा विक्रेता
गौतमबुद्धनगर में बनेगा मेडिकल डिवाइस पार्क : गौतमबुद्धनगर में 350 एकड़ में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क पर दो चरणों में 5250 करोड़ रुपये निवेश की योजना है। पहले चरण में 3000 करोड़ निवेश होगा और 120 इंडस्ट्रियल प्लाट पर इकाइयों की स्थापना का प्रस्ताव है। दूसरे चरण में 90 इकाइयों की स्थापना होगी और 2250 करोड़ रुपये निवेश होगा। मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना से चरणबद्ध तरीके से 25 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। यमुना एक्सप्रेस-वे के सेक्टर-28 में प्रस्तावित इस पार्क से जेवर एयरपोर्ट की दूरी बमुश्किल चार किलोमीटर होगी। यहां स्किल्ड मैनपावर के लिए एक स्किल डवलपमेंट सेंटर भी प्रस्तावित है। जेवर एयरपोर्ट के विकास के बाद वहां 500 हेक्टेयर जमीन पर एविएशन हब भी विकसित करने की योजना है।