पराली जलाई गई तो आसमान देगा गवाही, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन बताएगा पता
उत्तर प्रदेश रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) क्रॉप रेजीड्यू ऑटोमेटेड बर्निग मॉनीटरिंग सिस्टम पोर्टल के जरिए मोडिस सेटेलाइट की मदद से यह तत्काल पता लगा लेगा कि किस खेत में कृषि अवशेष जलाया गया। गूगल मैप के जरिए ठीक उस स्थान तक पहुंचा जा सकेगा जहां आग लगाई गई होगी।
लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। वायु प्रदूषण के लिहाज से आने वाले दिन बेहद संवेदनशील हैं। एक तरफ लोग कोरोना से जूझ रहे हैं वहीं, बढ़ता वायु प्रदूषण इस महामारी में आग में घी का काम कर सकता है। विशेषज्ञों ने इस बात की चिंता व्यक्त की है कि प्रदूषण बढ़ा तो सांस के साथ कोरोना मरीजों के लिए मुश्किल होगी। क्योंकि कोरोना से भी फेफड़ों में संक्रमण होता है।
प्रदूषण में वृद्धि के लिए जहां घटता तापमान, नमी आदि जिम्मेदार हैं वहीं, पराली व कृषि अवशेष जलाने की घटनाएं समस्या को और गंभीर बनाते हैं। यही वजह है कि सरकार आग की घटनाओं को लेकर बेहद सतर्क है। उत्तर प्रदेश में किसानों को लगातार जागरूक किया जाता रहा है, इसके बावजूद अक्टूबर की शुरुआत से ही खेतों में पराली और कृषि अवशेष जलाने की घटनाएं सामने आने लगी हैं। खेतों से उठने वाला धुआं आसमान पर मोटी धुंध बना लेता है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है। यदि अब खेत पर कृषि अवशेष या पराली जलाई तो आसमान गवाही देगा।
उत्तर प्रदेश रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) क्रॉप रेजीड्यू ऑटोमेटेड बर्निग मॉनीटरिंग सिस्टम पोर्टल के जरिए मोडिस सेटेलाइट की मदद से यह तत्काल पता लगा लेगा कि किस खेत में कृषि अवशेष (पराली आदि) जलाया गया। यही नहीं, गूगल मैप के जरिए ठीक उस स्थान तक पहुंचा जा सकेगा, जहां आग लगाई गई होगी। भारत सरकार व कृषि विभाग द्वारा इस परियोजना को हरी झंडी दे दी गई है। सेंटर प्रदेश के सभी जिलों में निगरानी कर रोज रिपोर्ट भेजेगा।
क्या है सीआरएबीएमएस
इसमें पराली या कृषि अवशेष जलाये जाने की सूचना प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए उपग्रहीय आंकड़ों (मोडिस सेटेलाइट डेटा) का उपयोग किया जाता है। मोडिस सेटेलाइट डेटा 24 घंटों में तीन से पांच बार टेरा एवं एक्वा सेंसर्स द्वारा आग वाले स्थानों का अक्षांश-देशांतर सहित डेटा उपलब्ध कराता है। इसकी मदद से उस स्थान को जहां आग लगी होती है, चिन्हित किया जाता है। गूगल मैप एप्लीकेशन द्वारा उस स्थान की लोकेशन एवं रोड मैप लिंक करके मोबाइल द्वारा एसएमएस के माध्यम से संबंधित जनपदीय अधिकारियों को तत्काल सूचना भेज दी जाती है। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के कृषि संसाधन विभाग के प्रभागाध्यक्ष डॉ. राजेश उपाध्याय व नोडल अधिकारी डॉ. एसपीएस जादौन बताते हैं कि 24 घंटे मॉनीटरिंग शुरू कर दी गई है, जो पूरे सीजन जारी रहेगी।
दो वर्ष में पराली जलाने की घटनाएं
जिला 2018-19 2019-20
बहराइच 100 61
बाराबंकी 191 58
बरेली 149 88
हरदोई 137 120
लखीमपुर खीरी 463 324