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Good News: कामिल व फाजिल को स्नातक व स्नातकोत्तर की मान्यता देगी यूपी सरकार

वर्ष 2014 में इसके लिए प्रस्ताव भी चला लेकिन यह मूर्त रूप नहीं ले पाया। अब योगी सरकार ने मदरसा छात्रों के हितों को देखते हुए सरकारी मदरसा बोर्ड के कामिल व फाजिल पाठ्यक्रमों को उच्च शिक्षा से मान्यता दिलाने की तैयारी शुरू कर दी है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 08:32 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 09:24 AM (IST)
Good News: कामिल व फाजिल को स्नातक व स्नातकोत्तर की मान्यता देगी यूपी सरकार
संस्कृत पाठशालाओं की तर्ज पर मान्यता देने की तैयारी। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से मिल सकती है मान्यता

लखनऊ, [शोभित श्रीवास्तव]। प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित कामिल व फाजिल की डिग्रियों को स्नातक (यूजी) व स्नातकोत्तर (पीजी) की मान्यता देने जा रही है। इन्हेंं संस्कृत पाठशालाओं में चलने वाले पाठ्यक्रमों की तर्ज पर मान्यता दी जाएगी। अभी केवल मुंशी, मौलवी व आलिम को ही हाईस्कूल व इंटर की मान्यता है। कामिल व फाजिल की मान्यता न होने के कारण इसे पास करने वाले युवा इस डिग्री का उपयोग नहीं कर पाते हैं।

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यूं तो कामिल व फाजिल की डिग्रियों को यूजी व पीजी की मान्यता प्रदान करने की घोषणा अखिलेश की सपा सरकार में की गई थी। वर्ष 2014 में इसके लिए प्रस्ताव भी चला, लेकिन यह मूर्त रूप नहीं ले पाया। अब योगी सरकार ने मदरसा छात्रों के हितों को देखते हुए सरकारी मदरसा बोर्ड के कामिल व फाजिल पाठ्यक्रमों को उच्च शिक्षा से मान्यता दिलाने की तैयारी शुरू कर दी है। जिस प्रकार संस्कृत पाठशालाओं की परीक्षाएं व अन्य समस्त कार्य संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से संचालित किए जाते हैं, उसी तरह अरबी व फारसी भाषाओं की कामिल व फाजिल की परीक्षाएं व मान्यता लखनऊ के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से दिलाने की कवायद शुरू हो गई है। 

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने इसका प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। इसमें कामिल को यूजी व फाजिल को पीजी की मान्यता देने की बात है। अभी कामिल व फाजिल की डिग्रियां केवल मदरसों में शिक्षक भर्ती के लिए ही काम आती हैं। उच्च शिक्षा से यूजी व पीजी की मान्यता न होने के कारण युवा सरकारी नौकरियों की भर्ती में इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। 

हर साल 60 हजार से पास करते हैं कामिल-फाजिल

प्रदेश में करीब एक हजार उच्च आलिया स्तर के मदरसे हैं, जिनमें हर साल करीब 60 हजार युवा कामिल-फाजिल की परीक्षा पास करते हैं। इन्हें केवल मदरसों में अध्यापन का ही कार्य मिल पाता है। उच्च शिक्षा की मान्यता मिलने से इनकी डिग्रियां हर जगह मान्य हो जाएंगी। 

मदरसा बोर्ड के पाठ्यक्रमों की समतुल्यता

मौलवी (अरबी)-हाईस्कूल

मुंशी (फारसी)-हाईस्कूल

आलिम (अरबी/फारसी)-इंटरमीडिएट


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