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यूपी सरकार अब खुद चलाएगी एंबुलेंस, निजी कंपनी ने चलाने से क‍िया इनकार; जिलों में बनेगा एंबुलेंस सेवा प्रबंधन दल

राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं। इसमें 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं। वहीं गर्भवती प्रसूता नवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा है। इसके राज्यभर में 2270 वाहन संचालित हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 04:55 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 04:55 PM (IST)
निजी कंपनी ने एंबुलेंस हैंडओवर करने के लिए शासन को लिखा था खत। शासन ने तैयार किया खाका।

लखनऊ, [संदीप पांडेय]। यूपी में एंबुलेंस सेवा सरकार खुद चलाएगी। निजी कंपनी के हाथ खड़े करने पर शासन ने खाका खींच लिया है। ऐसे में लंबे वक्त से चल रही कागजी खींचतान अब थमेगी। मरीजों को समय पर वाहन उपलब्ध कराने के लिए हर जिले में ’एंबुलेंस सेवा प्रबंधन दल’ बनेगा। राज्य में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं। इसमें 108 इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा के 2200 वाहन हैं। वहीं गर्भवती,प्रसूता, नवजात को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा है। इसके राज्यभर में 2270 वाहन संचालित हैं। वहीं तीसरी एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस सेवा है। वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस 75 जनपदों में 250 तैनात की गई हैं। इन सभी एंबुलेंस के संचालन की बागडोर निजी कंपनी जीवीकेईएमआरआइ के पास है।

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कंपनी तय करार के अनुसार मरीजों को मुफ्त अस्पताल पहुंचाती है। वहीं सरकार कंपनी को उसका भुगतान कर रही है। वहीं कोरोना कॉल में एंबुलेंस से मरीजों की अस्पताल में शिफ्टिंग काफी घट गई। उधर, कम मरीजों को एंबुलेंस सेवा मुहैया कराने पर तय नियमों के आधार पर कंपनी पर जुर्माना लगा दिया गया। ऐसे में कंपनी-सरकार के बीच कागजी वार चलते रहे। कंपनी ने 17 अगस्त 2020 को विभिन्न परिस्थि‍ति‍यों का हवाला देकर सरकार से 60 दिनों में एंबुलेंस हैंडओवर करने का खत लिखा। ऐसे में लंबे वक्त तक शासन स्तर एंबुलेंस सेवा संचालन को लेकर मंथन चलता रहा। वहीं 19 जनवरी को राज्य सरकार की सचिव अपर्णा यू ने प्रदेश के सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र भेजा। इसमें एंबुलेंस सेवा संचालन का पूरा खाका नत्थी किया। एंबुलेंस हैंडओवर व उसके संचालन के लिए 35 बिंदुओं की गाइड लाइन तय की गई है।

एसीएमओ होंगे नोडल ऑफीसर

नई गाइड लाइन के मुताबिक जिला स्तर पर कॉल सेंटर होगा। इसके लिए बीएसएनएल से मदद ली जाएगी। एसीएमओ को नोडल ऑफीसर बनाया जाएगा। एंबुलेंस सेवा प्रबंधन दल का गठन होगा। इसमें एक फार्मासिस्ट, एक टेक्नीशियन, एक फ्लीट प्रबंधक, एक समन्वयक होगा। मैन पावर एजेंसी के माध्यम से ड्राइवर व इमरजेंसी टेक्नीशियन को हायर किया जाएगा। इन्हें इमरजेंसी केस हैंडओवर करने के लिए ट्रेन‍िंग दिलाई जाएगी। सीएमओ व जिला स्वास्थ्य समिति की तीनों एंबुलेंस सेवा रन करने की पूरी जिम्मेदारी होगी। वहीं प्रदेश स्तर पर स्टेट कोविड कंट्रोल रूम से एंबुलेंस सेवा को कनेक्ट करने का प्रस्ताव है। वहीं कंपनी के जरिए सेवा से जुड़े हजारों कर्मियों को नौकरी का खतरा भी मंडरा रहा है।

एंबुलेंस संचालन को लेकर शासन की तरफ से पत्र आया है। इस पर मंथन चल रहा है। यह इंटरनल मैटर है, इसलिए अभी कुछ नहीं कह सकता हूं। शासन के आदेशानुसार फैसला लिया जाएगा। अभी फिलहाल कंपनी ही एंबुलेंस चला रही है।    - डॉ. संजय भटनागर-सीएमओ-लखनऊ 

कोविड के दौरान मरीज कम मिले। ट्रिप पूरी नहीं हुईं। ऐसे में जुर्माना लगाकर काफी कटाैती कर ली गई। हर माह 15 से 20 करोड़ का घाटा हो रहा है। ऐसे में शासन से राहत देने का अनुरोध किया था। समस्या का समाधान न होने पर एंबुलेंस हैंडओवर करने को कहा। कई बार वार्ता हुई। आश्वसन मिला। मगर, अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है।    -टीवीएस, रेड्डी-वाइस प्रेसीडेंट, जीवीकेईएमआरआइ 


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