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पांच साल में मुंबई जैसी होगी यूपी फिल्म इंडस्ट्री... यहां हर गली में है एक कहानी

फिल्म बंधु व पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से उत्तर प्रदेश फिल्म फेस्टिवल व सेमिनार का आयोजन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 09:58 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 09:58 PM (IST)
पांच साल में मुंबई जैसी होगी यूपी फिल्म इंडस्ट्री... यहां हर गली में है एक कहानी
पांच साल में मुंबई जैसी होगी यूपी फिल्म इंडस्ट्री... यहां हर गली में है एक कहानी

लखनऊ, जेएनएन। यूपी को आप सबने फ़िल्म के लिये चुना और यूपी की फ़िल्म नीति को हाथों हाथ लेकर गति दी है इसके लिये आपका साधुवाद। यूपी से बड़ा बाज़ार कहीं और नहीं मिलेगा। पर्यटन के हर आयाम आपको यहां मिलेगा। यह बातें मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में फिल्म बंधु व पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित उत्तर प्रदेश फिल्म फेस्टिवल व सेमिनार में कहीं।

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सीएम ने कहा कि चार मार्च को हमने मानवता के सबसे बड़े समागम कुम्भ का समापन किया है। जो नहीं आया होगा वह पछता रहा होगा। कुंभ पर फ़िल्म बनाये दुनिया देखना चाहेगी। जरूर हिट होगी। अगर समाज की आवश्यकता के अनुसार फ़िल्म की पटकथा होगी तो लोग हाथों हाथ लेंगे। मैं मुंबई में कुंभ के प्रचार के लिये एक कार्यक्रम में गया था। वहां कलाकारों के भाव देख लगा था कि कुंभ अवश्य भव्य होगा। सरकार पॉलिसी बनाती है और भूल जाती है। अब ऐसा नहीं है। हम अनुदान भी समयबद्ध दे रहे हैं।

उन्‍होंने आगे कहा कि समाज, संस्कृति और परम्परा के लिये भी जीना चाहिये। अभी उरी फ‍िल्‍म सभी विधायकों, मंत्रियों और राज्यपाल साहब सबको दिखाई। विधायक के करोड़ों के काम किये कोई धन्यवाद देने नहीं आया, लेकिन उरी के लिए सब आये और कहा कि बहुत अच्छी फिल्म बनाई। यह सब तभी है जब सुरक्षा का वातावरण है। यूपी में डरने की जरुरत नहीं है। यहाँ अपराधी तखती लगाकर घूम रहे हैं कि ठेला लगाएंगे, लेकिन अपराध नहीं करेंगे।

इससे पहले बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक-निर्माता, लेखक व गायकों ने प्रदेश में फिल्म इंडस्ट्री बनाने पर अपने विचार व सुझाव रखे। कहा, सिनेमा आज सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम के रूप में उभर रहा है। इसी को ध्यान में रखकर प्रदेश में फिल्म नीति बनी है। फिल्म बंधु आने के बाद राज्य में फिल्मों की शूटिंग का क्रेज बढ़ गया है। दूसरे सत्र में इंहेंसमेंट एंड डेवलपमेंट टूरिज्म विषय पर बालीवुड की दिग्गज हस्तियों ने अपने विचार रखे।

सेमिनार के पहले सत्र की चेयरपर्सन कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि भारत का इतिहास उत्तर प्रदेश से शुरू होता है और अगर खत्म होगा तो वह भी इसी प्रदेश से होगा। सरकार ने फिल्मकारों की सुविधा की शुरुआत की है, अब आप फिल्मकारों को आगे आकर हमें इस क्षेत्र में और बेहतर करने के लिए सुझाव देने होंगे। उन्होंने कहा कि अगर आप सब का साथ मिलता रहा तो अगले पांच साल में प्रदेश में एक बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बनकर तैयार हो जानी चाहिए।

भारत की करीब 22 करोड़ जनसंख्या हमारे प्रदेश में है, वह भी हिंदी की है। सिनेमा के लिहाज से यहां बहुत संभावनाएं हैं। इस दौरान पुलवामा के शहीदों को याद कर उन्हें नमन किया गया। इस मौके पर प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी, पूर्व चीफ सेक्रेट्री आलोक रंजन, गीतकार व गायक मनोज मुंतशिर, स्क्रिप्ट राइटर विपुल रावल, फिल्मकार आशु त्रिखा, फिल्मकार अनिल शर्मा, फिल्मकार खेमचंद भागनानी, निर्देशक निशीथ चंद्रा, निदेशक फिल्म बंधु शिशिर, पीएचडी चैंबर के ललित खेतान, को-चेयरमैन मुकेश बहादुर सिंह, गौरव प्रकाश आदि लोग मौजूद थे।

यही वक्त है सूरज निकलने का...
अंधेरी रात नहीं नाम लेगी ढलने का, यही वक्त है सूरज निकलने... इस पंक्ति के साथ गीतकार व गायक मनोज मुंतशिर ने अपने खास अंदाज में नजर आए। उन्होंने कहा कि अगर तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री चार-पांच वर्षों में खड़ी हो सकती हैं, तो यूपी में क्यों नहीं हो सकती? उन्होंने कहा कि यह किरदारों का प्रदेश है, यहां पर अब्दुल हमीद के कारनामे लोकगीतों में गाए जाते हैं। थोड़ी मुश्किलें जरूर है, लेकिन यह हमारा रास्ता नहीं रोक सकती।

सब्सिडी के साथ फिल्मों को टैक्सफ्री भी करना चाहिए : विपुल रावल
रुस्तम जैसी फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने वाले लेखक विपुल रावल ने बताया कि वह नेवी में नौकरी करते थे, वह छोड़ कर सिनेमा में आया हूं। इस प्रदेश के बिजनौर के एक गांव में पांच साल बिताए हैं। यहां से अलग नहीं हूं। उन्होंने बताया कि फिल्म शूटिंग के लिए प्रदेश का सिंगल विंडो होना और फ्रेंडली होना बहुत जरूरी है। बाहर देशों में एक सिंगल विंडो में काम होता है, उसके बाद वहां का डिपार्टमेंट सारी कागजी कार्रवाई खुद करता हैं। मुंबई में शूटिंग के अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने यह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि यहां तो हर कदम पर सबकी स्वीकृति लेनी होती है।

इस प्रदेश में कमाल की लोकेशन है : अनिल शर्मा
लखनऊ में फिल्म गदर एक प्रेम कथा बनाने वाले अनिल शर्मा ने बताया कि यहां बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं। गदर के बाद ही यहां फिल्मों का क्रेज बड़ा है। इसके अलावा यहां पर फिल्म नीति आने के बाद फिल्मकारों को काफी सुविधा मिल रही है। यहां पर इंडस्ट्री बनती है, तो यहां के लोगों को दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ेगा। यहां के लोग काफी सुलझे और समझदार हैं। 

सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत जरूरी: आशू त्रिखा
फिल्मकार आशू त्रिखा ने बताया कि एक जहां की फिल्म हो उसी जगह पर शूटिंग हो इससे बेहतर कुछ नहीं होता। एक फिल्मकार के लिए कहीं भी फिल्म शूट करने के लिए सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत जरूरी है, जहां यह मिलता है फिल्मकार वहीं शूट करता है। इस ओर खास ध्यान दिया जाना चाहिए, फिर प्रदेश में फिल्म शूटिंग कई गुना बढ़ जाएगी। इस प्रदेश में बनने वाली फिल्में यहां की संस्कृति को देश-विदेश तक ले जाती है। इसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

180 देश देखते हैं हमारा सिनेमा : विनोद बच्चन
सपने देखना और उसे साकार करना एक प्रक्रिया है। इस प्रदेश में इतनी खासियत है कि इसका नाम उत्तर प्रदेश नहीं उत्तम प्रदेश होना चाहिए। मैंने यहां कई फिल्में बनाई है। यहां हर एक गली में कहानी है, हर एक मोहल्ला अपने आप में एक किस्सा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यहां की फिल्मेंं सिर्फ भारत में नहीं बल्कि 180 देशों में देखी जाती है। 

इन फिल्मों को अनुदान :
मॉम, टॉयलट एक प्रेम कथा, निल बटे सन्नाटा, बाबुमोशाय बन्दूकबाज, भाग्य न जाने कोई, इश्करिया, धर्म के सौदागर, सांवरिया मोहे रंग दे, बबुआ, NH-8, बीवी डॉट कॉम, हॉरर एक राज, मोहब्बत। 50 फिल्में एक समय में बन रही हैं। 7 करोड़ से अधिक अनुदान देंगे।

वहीं अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने कहा कि बनारस में फ़िल्म इंस्टीट्यूट बना रहे हैं। जमीन चिन्हित कर ली गई है। बोनी कपूर ने कहा कि यूपी सबसे अधिक फ़िल्म फ्रेंडली प्रदेश है। मैंने आख़री बार मॉम की शूटिंग की थी। हाल में ही मेरी बेटी ने यहाँ शूटिंग की है। यह सिलसिला जारी रहेगा। हर शहर, गांव में थियेटर का विस्तार होना चाहिये। यूपी में कई ऐसे शहर है जिसे भारत का नौ लखा हार कहा जा सकता है।


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