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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच संपत्तियों के बंटवारे का विवाद खत्म, जानिए किस पर कितनी देनदारी

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच संपत्तियों के बंटवारे से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए पिछले महीने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही करने के लिए सोमवार को शासनादेश जारी कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 09:04 PM (IST)Updated: Tue, 21 Dec 2021 06:43 AM (IST)
उत्तर प्रदेश का पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से 21 साल पुराना संपत्तियों का बंटवारा हो गया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश का पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से 21 साल पुराना संपत्तियों का बंटवारा हो गया है। इसे सोमवार को अंतिम रूप दे दिया गया। संपत्तियों के बंटवारे से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए पिछले महीने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक में लिए गए निर्णयों के आधार पर उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय विभाग ने संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही करने के लिए शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक का कार्यवृत्त भी जारी किया गया है जिसके आधार पर संबंधित विभागों को कार्यवाही करनी है। संपत्तियों के बंटवारे को लेकर जो सहमति बनी है, उसके आधार पर उत्तर प्रदेश पर लगभग 300 करोड़ रुपये देनदारी है। कुछ विवादों का निपटारा हो चुका है।

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शासनादेश के अनुसार उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जो भूमि-भवन खाली पड़े हैं, उन्हें उत्तराखंड को हस्तांतरित करने के बारे में यह तय हुआ है कि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के उपयोग की भूमि व भवनों को चिन्हित करने के लिए दोनों राज्यों के सिंचाई विभागों के अधिकारियों की ओर से संयुक्त सर्वे करके इसके बारे में 15 दिनों में रिपोर्ट दी जाएगी। हरिद्वार में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की 697.576 हेक्टेयर भूमि का स्वामित्व उत्तर प्रदेश के पास रहेगा जो भविष्य में इस भूमि पर कुंभ मेला व अन्य आयोजनों के लिए अनुमति देगा।

उधम सिंह नगर में धौरा, बैगुल और नानक सागर जलाशय में पर्यटन व जल कीड़ा के लिए उत्तर प्रदेश शासन की ओर से ओर से अनुमति दे दी गई है। जल्द ही उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग इस बारे में आदेश जारी करेगा। पुरानी ऊपरी गंगनहर में वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति के लिए भी उत्तर प्रदेश शासन ने मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग इस बारे में भी तत्काल आदेश जारी करेगा।

सिंचाई विभाग के वर्ष 2019 तक के 57.87 करोड़ रुपये के बिजली बिलों में 37 करोड़ रुपये के सरचार्ज को घटाते हुए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग 20 करोड़ रुपये या वास्तविक देयक का भुगतान यूूपीसीएल उत्तराखंड को करेगा। वर्ष 2019 के बाद के बिलों के एरियर का तत्काल भुगतान और भविष्य के बिलों का नियमित भुगतान किया जाएगा। इसमें ब्याज नहीं दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक/भारतीय स्टेट बैंक से लिये गए ऋण में अपने अंश के 105.42 करोड़ रुपये के मूलधन के भुगतान के लिए उत्तराखंड सहमत है। तय हुआ है कि उप्र परिवहन विभाग की ओर से उत्तराखंड के परिवहन विभाग को 205.42 करोड़ रुपये का जो भुगतान किया जाना है, उसमें इस रकम को समायोजित कर लिया जाए। उत्तराखंड को 105.42 करोड़ रुपये का यह भुगतान उप्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को करना था जो इस निर्णय से सहमत है। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग शेष 100 करोड़ रुपये का भुगतान उत्तरखंड के परिवहन विभाग को करेगा। यह भी निर्णय हुआ है कि उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग सुप्रीम कोर्ट और उत्तराखंड परिवहन विभाग नैनीताल हाई कोर्ट में विचाराधीन मुकदमों को वापस ले लेंगे।

उत्तर प्रदेश वन निगम और उत्तराखंड वन विकास निगम के बीच संपत्तियों के विभाजन के क्रम में उत्तर प्रदेश वन निगम ने उत्तराखंड वन विकास निगम को 77.37 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की उत्तराखंड में सृजित संपत्तियों के निस्तारण से प्राप्त आय को खोले गए एस्क्रो अकाउंट में डाला जाएगा और इस आमदनी को 50:50 के अनुपात में बांट लिया जाएगा।

इन संपत्तियों से संबंधित किसी भी न्यायालय में चल रहे सभी मुकदमों में आवास एवं विकास परिषद, उत्तराखंड पक्षकार बनकर प्रभावी पैरवी करेंगे। इस पर आने वाले खर्च को एस्क्रो अकाउंट से समानुपातिक रूप से वहन किया जाएगा। इन संपत्तियों के बारे में किसी भी न्यायालय द्वारा विपरीत आदेश पारित किये जाने पर पैदा हुईं सभी देनदारियों को 50:50 के अनुपात में उप्र और उत्तराखंड की आवास एवं विकास परिषदें वहन करेंगी जिसका भुगतान एस्क्रो अकाउंट से किया जाएगा।

यह भी निर्णय हुआ है कि हरिद्वार में पूर्व में बना अलकनंदा पर्यटक आवास गृह उत्तराखंड के पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नवनिर्मित भागीरथी पर्यटक आवास गृह के लोकार्पण कार्यक्रम में इसे उत्तराखंड को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

जर्जर अवस्था में पहुंचे वनबसा बैराज के पुनर्निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग फीजिबिलिटी रिपोर्ट/डीपीआर तैयार कर निर्णय के लिए प्रस्तुत करेगा। यह भी सहमति बनी है कि अन्य मामलों को दोनों राज्यों के मुख्य सचिव आपसी सहमति के आधार पर हल करने का प्रयास करेंगे। जिन मामलों में सहमति बन जाए, उनमें अदालतों में लंबित वादों को वापस ले लिया जाए।


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